Blog

  • जानिये, विज्ञान के नजरिये से पुर्नजन्म का रहस्य

    जानिये, विज्ञान के नजरिये से पुर्नजन्म का रहस्य

    WhatsAppTwitterEmailLinkedInFacebook

    a soleबरेली। पुनर्जन्म एक धार्मिक सिद्धान्त मात्र नहीं है। यह अंधविश्वास नहीं बल्कि वैज्ञानिक तथ्य के रुप में स्वीकारा जा चुका है। इस पर विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों एवं परामनोवैज्ञानिक शोध संस्थानों में ठोस कार्य हुआ है। पुनरागमन को प्रमाणित करने वाले अनेक प्रमाण आज विद्यमान हैं। इनमें सबसे बड़ा प्रमाण ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत है। विज्ञान के सर्वमान्य संरक्षण सिद्धांत में ऊर्जा का किसी भी अवस्था में विनाश नहीं होना प्रमाणित किया गया है। इसमें मात्र ऊर्जा का रुप परिवर्तन हो सकता है। जैसे ऊर्जा नष्ट नहीं होती, वैसे ही चेतना का नाश नहीं हो सकता। चेतना को वैज्ञानिक शब्दावली में ऊर्जा की शुद्धतम अवस्था कह सकते हैं।

    चेतना सत्ता एक शरीर से निकल कर नए शरीर में प्रवेश संभव है। पुनर्जन्म का भी यही सिद्धांत है। पुनर्जन्म का दूसरा प्रत्यक्ष प्रमाण पूर्वजन्म की स्मुति युक्त बालकों का जन्म लेना है। बालकों के पूर्वजन्म की स्मृति की परीक्षा आजकल दार्शनिक और परामनोवैज्ञानिक करते हैं।

    उदाहरण-

    1. उदाहरण के तौर पर पूर्वभव के संस्कारों के बिना मोर्जाट चार वर्ष की अवस्था में संगीत नहीं कम्पोज कर सकता था।

    2. ठीक इसी प्रकार लार्ड मैकाले और विचारक मील, चलना सीखने से पूर्व लिखना सीख गए थे। वैज्ञानिक जान गाॅस जब तीन वर्ष का था तभी अपने पिताजी की गणितीय त्रुटियों को ठीक करता था।

    sole1इससे प्रकट है कि पूर्वभव में ऐसे बालकों को अपने क्षेत्र में विशेष महारत हासिल थी। तभी वर्तमान जीवन में संस्कार मौजूद रहे। प्रथमतः शिशु जन्म लेते ही रोता है। स्तनपान करने पर चुप हो जाता है। कष्ट में रोना ओर अनुकूल स्थिति में प्रसन्नता प्रकट करता है। शिशु बतख स्वतः तैरना सीख जाती है। इस तरह की घटनाएं हमें विवश करती हैं यह सोचने के लिए कि जीव पूर्वजन्म के संस्कार लेकर आता है। वरन नन्हें शिशुओं को कौन सिखाता है।

    डाॅ. स्टीवेन्सन ने अपने अनुसंधान के दौरान कुछ ऐसे मामले भी देखे हैं

    जिसमें व्यक्ति के शरीर पर उसके पूर्वजन्म के चिन्ह मौजूद हैं। यद्यपि आत्मा का रुपान्तरण तो समझ में आता है लेकिन दैहिक चिन्हों का पुनःप्रकट होना आज भी एक पहेली है। डाॅ. हेमेन्द्र नाथ बनर्जी का कथन है कि कभी-कभी वर्तमान की बीमारी का कारण पिछले जन्म में भी हो सकता है।

    पूर्व जन्म में आग से जलकर मरीं थी रोजन वर्ग-

    श्रीमती रोजन वर्ग की चिकित्सा इसी तरह हुई। आग को देखते ही थर-थर कांप जाने वाली इस महिला का जब कोई भी डाॅक्टर इलाज नहीं कर सका। तब वे मनोचिकित्सक के पास गयीं। वहां जब उन्हें सम्मोहित कर पूर्वभव की याद कराई गयी, तो रोजन वर्ग ने बताया कि वे पिछले जन्म में जल कर मर गई थीं। अतः उन्हें उसका अनुभव करा कर समझा दिया गया, तो वे बिल्कुल स्वस्थ हो गई।

    एक अन्य उदाहरण भी है-

    वैज्ञानिकों ने विल्सन कलाउड चेम्बर परीक्षण में चूहे की आत्मा की तस्वीर तक खींची है। क्या इससे यह प्रमाणित नहीं होता है कि मृत्यु पर चेतना का शरीर से निर्गमन हो जाता है।

    sole7वैसे सम्पूर्ण विश्व के सभी धर्मो, वर्गों, जातियों एवं समाजों में पुनर्जन्म के सिद्धांतों किसी न किसी रुप में मान्यता प्राप्त है। अंततः इस कम्प्युटर युग में भी यह स्पष्ट है कि पुनर्जन्म का सिद्धांत विज्ञान सम्मत है। आधुनिक तकनीकी शब्दावली में पुनर्जन्म के सिद्धांत को इस तरह समझ सकते हैं। आत्मा का अदृश्य कम्प्युटर है और शरीर एक रोबोट है। हम कर्मों के माध्यम से कम्प्युटर में जैसा प्रोग्राम फीड करते हैं वैसा ही फल पाते हैं। कम्प्युटर पुराना रोबोट खराब को जाने पर अपने कर्मों के हिसाब से नया रोबोट बना लेता है।

    पुनर्जन्म के विपक्ष में भी अनेक तर्क एवं प्रश्न खड़े हैं। यह पहेली शब्दों द्वारा नहीं सुलझाई जा सकती है। जीवन के प्रति समग्र सजगता एवं अवधान ही इसका उत्तर दे सकते हैं। सामाजिक संस्कारों बढ़ने वाला मन इसे नहीं समझ सकता है।

    पुनर्जन्म आज एक धार्मिक सिद्धान्त मात्र नहीं रह गया है। विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों एवं परामनोवैज्ञानिक शोध संस्थानों में ठोस कार्य हुआ है। वर्तमान में यह अंधविश्वास नहीं, बल्कि वैज्ञानिक तथ्य के रुप में स्वीकारा जा चुका है।

  • Bareilly College : गुस्साये टीचर्स शुुक्रवार से नहीं करायेंगे Exam

    Bareilly College : गुस्साये टीचर्स शुुक्रवार से नहीं करायेंगे Exam

    WhatsAppTwitterEmailLinkedInFacebook

    abusedबरेली। शिक्षिका के साथ अभ्रद व्यवहार किये जाने वाले छात्र नेता के खिलाफ कार्यवाही न किये जाने से क्षुब्ध बरेली कालेज के शिक्षक-शिक्षिकाए शुक्रवार से विश्वविद्यालय की परीक्षा नही करायेगें। यह निर्णय कालेज के शिक्षक शिक्षिकाओं ने बुधवार को आयोजित एक बैठक में लिया।

    इस मौके पर डा.वी.पी.सिंह ने कहा कि कालेज की एक शिक्षिका क्षमा द्विवेदी से अभ्रदता और धमकी देने के आरोपी समाजवादी छात्र सभा के जिलाध्यक्ष हृदेश यादव पुलिस द्वारा गिरफ्तार व रिहा करके मात्र खानापुरी करके इति कर ली गई, जिससे आरोपी छात्र के हौसले बुलन्द हैं। बैठक में निर्णय लिया गया कि शुक्रवार से बरेली कालेज में कालेज के शिक्षक शिक्षिकांए परीक्षाएं नहीं करायेंगे। बैठक में डा.अशोक अग्रवाल, डा.एस.के.शर्मा, डा.पूनम शर्मा, डा.रितू अग्रवाल, डा.भारतेन्दु शर्मा,क्षमा द्विवेदी, डा.मनमीत कौर, डा.अर्चना आदि मौजूद रही।

    बैठक में नहीं थे प्राचार्य

    कालेज के प्राचार्य डा.सोमेश यादव कुछ कार्यो से बाहर गये हुए हैं। इस कारण वह बैठक में शामिल न हो सके। बात होने पर उन्होंने बताया कि गुरूवार को बरेली कालेज में अवकाश रहेगा। बरेली पहुंचते ही कालेज के शिक्षक शिक्षिकाओं से बात कर समस्या के समाधान का रास्ता निकालने का प्रयास करूंगा।

  • अब भी दाई करा रही प्रसव, बेटा होने पर लेती है 500 रुपए

    अब भी दाई करा रही प्रसव, बेटा होने पर लेती है 500 रुपए

    WhatsAppTwitterEmailLinkedInFacebook

    baby delevery2बरेली। गांव भगनापुर में पोषण मिशन से जुड़े एक जच्चा-बच्चा की देखभाल के संबंध में संबंधी एक रोचक बात सामने आई। इससे विशेेष सचिव से लेकर वहां मौजूद दूसरे अधिकारी भी भौचक्क रह गए।

    ब्लाक प्रमुख देवेंद्र सिंह और प्रधान गीता देवी के पति डा. एसपी सिंह ने बताया कि गांव में महिलाएं घरों में प्रसव को प्राथमिकता देती हैं और उसके लिए परमानेंट स्तर पर यहां दो दाई भी हैं। डिलीवरी के वक्त तुरंत बुलवाए जाने पर एक उम्रदराज दाई हाजिर भी हुई। उसने बताया कि अब लोग प्रसूता को अस्पताल नहीं ले जाते। वही यहां सबकुछ कर-करा देती है। हां, बेटा हुआ तो 500 और बेटी हुई तो 400 मिल जाते हैं। दूसरी ओर गांव गोकिलपुर में आंगनबाड़ी वर्कर राजरानी ने बताया कि बीते जनवरी से अब तक आठ बच्चे पैदा हुए। इनमें से सिर्फ एक प्राइवेट अस्पताल में हुआ जबकि अन्य यहीं घर में।

  • अरे! धरती, आकाश, जल…हर जगह बजरंगबली

    WhatsAppTwitterEmailLinkedInFacebook

    hanuman2लखनऊ। लखनऊ में जेठ के दूसरे बड़े मंगल पर विधानसभा भवन के पास अचानक से आए हनुमान जी को देखकर लोग चैंक गए। ये हनुमान जी लोगों के बीच आकषर्ण का केंद्र रहे। हनुमानजी ने घूम-घूमकर सबको आशीर्वाद दिया और लखनऊ में जगह-जगह लगे भंडारों का प्रसाद भी चखा।

    इससे पहले गोमती में मिली हनुमानजी की एक मूर्ति की लोगों के बीच काफी चर्चा रही। अचानक मूर्ति मिलने की खबर से लोगों ने वहां पूजा-पाठ व कीर्तन करना शुरू कर दिया। लोगों के मुताबिक ये हनुमानजी की मूर्ति सैकड़ों साल पुराने मंदिर की है।

    hanuman4कुछ दिन पहले आकाश में उड़ते हनुमानजी ने भी लोगों का ध्यान खींचा था। ये हनुमानजी लखनऊ के कई इलाकों में नजर आए थे। ये हनुमानजी की प्रतिमा ड्रोन की मदद से उड़ाई गई थी। इस प्रतिमा के जरिए एक टीवी सीरियल का प्रमोशन किया गया था। आकाश में उड़ते हुए हनुमानजी को देखने के लिए जगह-जगह काफी भीड़ इकट्ठी हुई थी।

WhatsAppTwitterEmailLinkedInFacebook
WhatsAppTwitterEmailLinkedInFacebook
error: Content is protected !!