बरेली। बरेली कालेज में छात्र अराजकता के आगे शिक्षक घुटने टेकने को मजबूर है। बड़े राजनीतिक आकाओं की सरपरस्ती में छात्र अराजकता का आलम यह है कि छात्र नेता जब और जो चाहे, उन्हें करने की खुली छूट दे दी गई है।
शिक्षिका क्षमा द्विवेदी से अभद्रता और धमकी देने के आरोपी समाजवादी छात्र सभा के जिलाध्यक्ष हृदेश यादव की गिरफ्तारी के नाम पर सोमवार को चल हुआ हाई वोल्टेज डामा ने इस बात की ताकीद कर दी है। प्राचार्य ने उद्दंड परंतु अपने प्रिय छात्र को सब शिक्षकों की ओर से माफी देकर जहां एक ओर शिक्षकों की मान मर्यादा धूल में मिला दी, तो वहीं कालेज में छात्र अराजकता हावी होने पर मोहर भी लगा दी है। ये अलग बात है कि हृदेश ने उनसे भी माफी मांगने से मना कर दिया था।
उधर, एसपी सिटी की माने तो उन्होंने हृदेश यादव को गिरफ्तार करके नियमानुसार छोड़ा गया। बवाल की वीडियो फुटेज देखकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि बरेली कॉलेज प्राचार्य ने कहा कि उसे थाने ले जाना ठीक नहीं रहेगा। इससे कॉलेज के पठन-पाठन का माहौल खराब हो सकता है। उन्होंने कहा कि हालत बात रहे थे कि प्राचार्य को छोड़कर बाकी कॉलेज स्टाफ हृदेश की गिरफ्तारी चाहते थे।
इससे बात साफ हो गई कि हृदेश सपा के बड़े नेता का खास आदमी है और प्राचार्य उनकी इच्छा के विपरीत कुछ नहीं कर सकते। यानी बरेली कालेज इसी गुंडई के साथ चलेगा। सारा नाटक जैसे पहले ही तय था। दोपहर बाद पौने चार बजे कॉलेज कैंपस में हृदेश को पुलिस ने गिरफ्तार किया। इसके विरोध में सछास से जुड़े छात्र नेताओं ने पूर्वी गेट पर पुलिस की गाड़ी रोकने के लिए उसके सामने लेट गए। यही नहीं वे हृदेश छोड़ने के लिए साढ़े पांच बजे तक प्रदर्शन किया। इसमें पुलिस की गाड़ी तोड़ने की कोशिश हुई। इंस्पेक्टर बारादरी के साथ छात्र नेताओं ने धक्कामुक्की भी हुई जिससे उनकी वर्दी का बिल्ला नुच गया। मौके पर पहुंचे एसपी सिटी और सीओ को आखिरकार हृदेश को छोड़ना पड़ा।
हृदेश के खिलाफ बारादरी थाने में शिक्षिका की ओर से शासकीय कार्यों में व्यवधान डालने गालीगलौच करने और जान से मारने की धमकी देने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। एसपी सिटी राजीव मल्होत्रा ने इन धाराओं में सात साल से कम की सजा का हवाला देकर शांति व्यवस्था बनाने के नाम पर आरोपी छात्र नेता को जमानत पर रिहा कर दिया। परंतु मामले में सच्चाई इससे जुदा है। इस मामले में न तो हृदेश की जमानत कराई गई और न ही पुलिस ने नियमानुसार उसे धारा 41 ‘ए‘ के तहत मौके पर कोई नोटिस ही रिसीव कराया। इस मामले में कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारी न होने पर शिक्षक संघ ने प्राचार्य को मंगलवार से परीक्षा बहिष्कार का अल्टीमेटम दे रखा था। अगर ऐसा होता तो कॉलेज में परीक्षाएं प्रभावित हो जातीं। इसलिए शिक्षकों को कार्य बहिष्कार से रोकने के लिए कालेज प्रशासन ने यह सारी नौटंकी रची।
मुकदमा दर्ज होने पर सवाल
हृदेश के खिलाफ शिक्षिका की ओर से बारादरी थाने में मुकदमा दर्ज होना सवाल बन गया। प्राचार्य डॉ. सोमेश का कहना कि सोमवार को सुबह उन्होंने बारादरी थाने में शिक्षिका की तहरीर भिजवाई, जबकि पुलिस के मुताबिक, मुकदमा रविवार शाम को ही दर्ज हो गया।
फिर शिक्षकों को धमकाने लगा हृदेश
सोमवार को सुबह शिक्षक संघ ने कॉलेज के कंप्यूटर सभागार में शिक्षकों की सभा बुलाई थी। इसमें उन्होंने प्राचार्य डॉ. सोमेश यादव को बुलाकर कार्रवाई के बाबत जानना चाहा। प्राचार्य ने उन्हें को बताया कि हृदेश को 10 दिन के लिए कॉलेज से सस्पेंड कर सुबह ही थाने में तहरीर दे दी है, उस पर पुलिस को कार्रवाई करनी है। इस पर शिक्षकों ने बृहस्पतिवार तक लिए अपना आंदोलन टालने का फैसला लिया। बैठक के बाद शिक्षक सभागार से बाहर निकले तो वहां पहले से मौजूद छात्र नेता हृदेश ने खुलेआम यह कहकर हड़काया कि देखेंगे कौन उसका क्या कर लेगा। इसके बाद शिक्षक संघ के महामंत्री डॉ.वीपी सिंह के नेतृत्व में कई शिक्षकों डीएम से शिकायत करने कलेक्ट्रेट पहुंचे। डीएम नहीं मिले तो एडीएम सिटी आलोक कुमार से मिले। शिक्षकों ने उनसे कहा हृदेश ने फिर से खुलेआम शिक्षकों को धमकाने की कोशिश की है। उन्होंने एसपी सिटी से बात कर शिक्षकों को भी उनसे मिलने भेज दिया। उसके बाद ही प्रशासन से पुलिस को हृदेश की गिरफ्तारी के निर्देश मिल गए।
पहले से ही थी प्रदर्शन की तैयारी
हृदेश की गिरफ्तारी पर गौर करें तो यह नाटकीय ढंग से ही हुई। जब कॉलेज में पुलिस फोर्स के साथ पहुंचे इंस्पेक्टर बारादरी मुहम्मद काशिम पहुंचे तो हृदेश कॉलेज कैंपस में ही था। उन्हें हृदेश को आखिर फोन करके बाटनी विभाग में बुलाने की क्या जरुरत थी। जब वह पुलिस के पास पहुंचा तो उसको गाड़ी में बैठा लिया गया। हृदेश के साथी जिनमें कुछ छात्र भी थे। वे कैंपस मंे सपा की लालटोपी भी पहने थे। सब तुरंत ही पुलिस जीप रोकने के एि कॉलेज के पूर्वी गेट पर इकट्ठे भी हो गए। नारेबाजी और हंगामा के वक्त गेट पर एक लाल रंग की गाड़ी पुलिस की गाड़ी के आगे आकर खड़ी हो गई थी। अनूप यादव, महेंद्र यादव, राहुल गुप्ता, विशाल यादव, इमरान अंसारी और विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह यादव आदि इस हंगामे का नेतृत्व करते दिखे।
प्राचार्य और एसपी- एक्शन नहीं, पैचअप कराने की कोशिश में लगे
मामला सपा से जुड़े छात्र नेता का था इसलिए पुलिस अफसर पूरी तरह से असहाय दिखे। पूर्वी गेट पर पौने दो घंटे तक पुलिस की गाड़ी घेरकर सछास नेता हंगामा करते रहे और मौके पर एसपी सिटी प्राचार्य से बार.बार गुफ्तगू करते रहे। शिक्षिका डॉ. क्षमा द्विवेदी को मौके पर बुलाकर शांति व्यवस्था का हवाला देते हुए उनकी हृदेश से माफी मंगवाने की कोशिश होती रही। शिक्षिका का मोबाइल स्विचऑफ गया तो प्राचार्य ने शिक्षक संघ अध्यक्ष डॉ. वीपी सिंह को फोन लगाकर क्षमा द्विवेदी से बात कराने को कहा। उन्होंने शिक्षिका के पति से बात कराई। उन्होंने माफ करने से इंकार कर दिया। जब यह कोशिशें नाकाम रहीं तो तय हुआ कि प्राचार्य ही हृदेश को माफ कर दें ताकि मामला रफादफा हो जाए। यही हुआ भी। नौटंकी के तहत प्राचार्य के सामने लाकर हृदेश से उनसे माफी मांगने को कहा गया लेकिन हृदेश ने माफी मांगने से साफ इंकार कर दिया तो एसपी सिटी ने होहल्ला के बीच शांति व्यवस्था का हवाला और प्राचार्य की ओर से माफी देने की बात कहते हुए हृदेश को छोड़ने का ऐलान कर दिया।
शिक्षिका ने माफ नहीं किया
पूरे घटनाक्रम के बाद शिक्षिका डॉ. क्षमा द्विवेदी ने कहा कि हृदेश ने जिस हद तक उनसे अभद्रता कीए उससे उसे माफ कर दिया गया तो भविष्य में शिक्षकों के साथ ऐसी घटनाएं होती रहेंगे इसलिए उन्होंने माफ नहीं किया है। बोलीं. अगर प्राचार्य ने उन्हें माफ किया है तो यह गलत है क्योंकि दुर्व्यवहार मेरे साथ हुआ है, न कि प्राचार्य के साथ।
एसएसपी बोले – पता नहीं गुंडई करने वाले से डरते क्यों है
एसएसपी धर्मवीर यादव ने कहा कि कोई भी हो, बरेली कॉलेज में गुंडई नहीं होने दी जाएगी। शिक्षकों से बदतमीजी करके पढ़ाई का माहौल खराब करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। शिक्षिका से बदसलूकी करने के आरोप में उसके खिलाफ मुकदमा एक दिन पहले ही लिखा जा चुका था। बाद में प्राचार्य के आग्रह के बाद ही ह्ृदेश को जमानत पर छोड़ा है। पता नहीं कॉलेज का स्टाफ गुंडई करने वालों से किसके दबाव में डरता है।