मेहनती है और मेहनत से प्यार करता है।।
तमन्ना है बदल जाये इस देश की किस्मत,
जमाने के ‘रहनुमाओं‘ से तकरार करता है।।
कुछ ऐसी ही शख्सियत के मालिक हैं अमित खण्डेलवाल। 36 साल के इस युवा का नाम अब शहर के लिए अनजाना नहीं रहा। कभी अपनी गुल्लक में जमा 1400 रुपये से कारोबार शुरू करके अमित दो बार विधायकी का चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार भी खुद शहर सीट से और इनकी पत्नी प्रियंका खण्डेलवाल को कैण्ट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं।
अटल जी की कविता हार नहीं मानूंगा… की तर्ज पर काल के कपाल पर नयी इबारत लिखने को आतुर हैं अमित। लोग कहते हैं कि ईमानदारी से दाल रोटी ही मुश्किल से मिल पाती है लेकिन अमित के विपरीत कहते हैं कि ईमानदारी से ही कुछ भी पाया जा सकता है। मेहनत और ईमानदारी से काम करो तो सितारे भी साथ देते हैं। एक सामान्य सी बैकग्राउण्ड से लेकर राजनीति में खम ठोकने को लेकर बरेली लाइव से बातचीत में जिन्दगी के सफर को बड़ी संजीदगी से बयां किया अमित खण्डेलवाल ने। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश-
आप एक ईमानदार कारोबारी हैं, फिर राजनीति में क्यों आना चाहते हैं?
लोग कहते हैं कि राजनीति बहुत गंदी चीज है, लेकिन मैं कहता हूं कि राजनीति गंदी नहीं है। यह लोगों की सेवा और देश सेवा का सबसे बड़ा माध्यम है। कुछ गंदे लोगों ने इसे गंदा कर दिया है। अगर ईमानदार लोग राजनीति में आयेंगे तो इसकी सफाई की जा सकेगी।
जहां तक मेरा सवाल है, मैं मेहनत और ईमानदारी में विश्वास रखता हूं। जो ठान लेता हूं उसे पूरा करने में अपने पिता की भी नहीं सुनता। 21 साल पहले व्यापार शुरू करने की ठानी थी। सफल रहा। अब राजनीति में आकर लोगों की सेवा ईमानदारी से करने का संकल्प है। मैं विकल्प की नहीं संकल्प की राजनीति करने आया हूं। अगर समाज के प्रबुद्ध लोग राजनीति में नहीं आयेंगे तो सफाई कैसे होगी?
आप किस तरह की राजनीति को पसंद करते हैं?
देखिये, मैं लोगों को साथ लेकर चलने में यकीन रखता हूं। मेरी नजर में कोई छोटा या बड़ा नहीं हैं। ईश्वर ने सभी को समान बनाया है, सभी समान हैं। अपने काम और जिम्मेदारियों के निर्वहन की क्षमता ही व्यक्ति को छोटा या बड़ा बनाती है। मेरी नजर में हर व्यक्ति अपने आप में सम्पूर्ण है। जब मैने बिजनेस किया तो मेरा तो दिमाग ही था, मेहनत मेरे साथी कर्मचारियों राजेश शर्मा, चरन सिंह और रवि लोधी ने भी की। तभी कारोबार में वांछित सफलता मिल सकी। सारा खेल विजन का है। अगर आपका विजन क्लियर है, तो आप लोगों के लिए आराम से अच्छा काम कर सकेंगे।
आपने बिजनेस कब शुरू किया और कैसे इसे बढ़ाया?
बात करीब 21 साल पुरानी है। मेरी उम्र महज 15 साल थी। पिताजी की एक दुकान है। मुझे कारोबार करने की धुन सवार हुई। बस, अब तो बिजनेस करना ही था। पापा से कहा, उन्होंने डपट दिया। उन्हें विश्वास ही नहीं था कि 15 साल का लड़का बिजनेस संभाल पायेगा? किसी ने मजाक बनाया तो किसी ने समझाया कि बेटा जिद मत करो। मैंने जिद ठानी थी सो, अपनी गुल्लक में जमा 1400 रुपये लिये और निकल पड़ा व्यापार करने।
इन 1400 रुपये से दूध खरीदा और बेचा। फिर यही क्रम चलता रहा। मेहनत से जी नहीं चुराता और ईमानदारी जीवन में उतार ली। ईश्वर ने साथ दिया, आज हमारी अमित डेयरी का दूध, दही, पनीर, घी, क्रीम, मक्खन और मठ्ठा मार्केट से कम दामों में पूरे बरेली मण्डल के लोग लेकर जाते हैं। करीब 7000 ग्राहक हैं जो नियमित रूप हमारे उत्पाद खरीदते हैं। इनमें रोजमर्रा की जरूरत पूरी करने वालों से लेकर थोक व्यापारी भी शामिल हैं जो यहां से ले जाकर अपने शहर में बेचते हैं।
अब कहते हैं कि अमित धुन का पक्का है। वह जो ठान लेता है करके दिखाता है। असल में 15 साल की उम्र में मुझे पढ़ाई के लिए समझाते थे। मैंने अपने अपनी जिद पूरी करने के साथ ही उनकी बात भी मानी। यानि बिजनेस किया तो पढ़ाई भी जारी रखी। व्यापार साथ-साथ एम.काॅम किया फिर राजनीति को समझ सकूं, इसके लिए राजनीति शास्त्र में एमए किया। आज मेरे पिता को मुझ पर गर्व है। उन्हें ही नहीं मेरे पूरे परिवार को मुझ पर गर्व है। मैं खुश हूं और सौभाग्यशाली भी।
बिना किसी सपोर्ट के बिजनेस कैसे किया?
कोई भी काम बिना किसी सपोर्ट के नहीं होता। सपोर्ट चाहे फाइनेन्सियल हो या इमोशनल। हालांकि पापा मेरे बिजनेस करने के खिलाफ थे लेकिन मेरी जिद देखी तो दादी ने सपोर्ट किया। उन्होंने प्रेरित किया कि ईमानदारी से ही काम करना। दादी ने न केवल आशीर्वाद दिया बल्कि उन्होंने कुछ दिन बाद मेरी लगन देखकर अपने गहने तक मुझे गिरवी रखने को दे दिये, जिससे मैं एक मकान खरीद सकूं। दादी के गहनों को गिरवी रखकर मकान खरीदा और बिजनेस को आगे बढ़ाया। पैसे कमाये फिर कुछ दिनों में गहने छुड़वाकर दादी को वापस किये। मेरी मेहनत और ईमानदारी के साथ दादी का आशीर्वाद बस, फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आपके जीवन में सबसे बड़ी चीज क्या है?
मेरी ईमानदारी और स्वाभिमान। कुछ साल पहले बात स्वाभिमान पर आयी तो घर छोड़ दिया। सिर से छत गायब हो गयी, लेकिन इरादे बुलंद हो तो कामयाबी मिलती जरूर है। आज सिर पर छत भी है और कई अन्य प्रापर्टी भी खरीद ली हैं। खेती के लिए जमीन भी खरीदी हुई है। इसके अलावा मेरी पत्नी प्रियंका। उसने मेरा कठिन समय में साथ दिया। कदम से कदम मिलाकर चलती रही। वह मेरे संघर्ष में मेरी प्रेरणा है।
आपके शौक क्या हैं?
खुश रहना ही मेरा शौक है। मैंने कभी सिगरेट, शराब, गुटका, तम्बाकू का सेवन नहीं किया। नाॅनवेज कभी चखा नहीं। शुद्ध शाकाहारी भोजन, ईमानदारी और मेहनत से काम करना और खुश रहना ही मेरा जुनून है। हां, मेरा एक शौक है लेकिन बड़ा है। हाथी पालने की तमन्ना है। मुझे हाथी देखकर बेहद खुशी होती है। हालांकि हाथी की सवारी का शौक नहीं है। बस, हाथी की फोटो देखकर मूड ठीक हो जाता है। उसे पालने के लिए खेत और जमीन फरीदपुर के पास खरीद ली है। उसे खिलाने के लिए गन्ने की खेती करायेंगे। हां, खाली समय में पुराने गाने सुनता हूं।
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