चाची की बीमारी ने महेन्द्र को बना दिया ‘डा. बासु’

बरेली। बचपन या जीवन के किस मोड़ पर जिन्दगी आपको कहां ले जाये, ये बस, ईश्वर ही जानते हैं। शुभकामनाओं से लबरेज व्यक्ति के लिए प्रारब्ध कुछ विशेष ही नियत रखता है। फिर यह जरूरी नहीं कि आप जो चाहे वही सही हो, कई बार ईश्वर या प्रारब्ध आपको उस जगह ले जाना चाहते हैं जहां तक आपकी दृष्टि जा ही नहीं सकती। ऐसा ही कुछ हुआ प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. महेन्द्र सिंह बासु के साथ। उनकी चाची की बीमारी ने उन्हें आंखों की दिशा में शोध करने के लिए प्रेरित किया। बस, वहीं से शुरू हो गयी बीएएमएस महेन्द्र की डा. बासु बनने प्रक्रिया। बरेली लाइव के विशेष संवाददाता विशाल गुप्ता से बातचीत के दौरान डा. महेन्द्र सिंह बासु ने अपने जीवन की किताब के कई अनखुले पन्ने खोले। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-

प्रश्न – डॉ. बासु, आप एक बेहद प्रसिद्ध और सफल नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं, आपके पास ऐसा क्या है जो औरों के पास नहीं है?

डॉ. बासु- विशाल भाई, मैं एक बहुत ही साधारण व्यक्ति हूं। मरीजों की सेवा निस्वार्थ भाव से करता हूं। जरूरतमंदों का इलाज बेहद कम शुल्क और गरीबों का इलाज कई बार मुफ्त में भी करता हूं। लोगों की दुआएं हैं और ईश्वर के दिये ज्ञान की ताकत कि लोग देश-विदेश से लगातार हमारे पास आ रहे हैं और ठीक हो रहे हैं। जहां तक बात औरों से अलग की है तो हम, आंखों के रोगों को बिना ऑपरेशन के, केवल दवाओं से ठीक करते हैं। यही वह खूबी है जो हमें औरों से अलग करती है। हमारी दवाएं पूरी तरह आयुर्वेदिक होती हैं। हमारे जीवन की पूंजी यही शोध हैं जिनसे हमने दवाएं तैयार की हैं। इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।

प्रश्न- आपने 40 साल पहले जब हर जगह ऐलोपैथी को बढ़ावा दिया जा रहा था, आयुर्वेद को ही क्यों चुना?

डॉ. बासु- आयुर्वेद में ईश्वर की इच्छा से गये, प्रारब्ध ले गया। बीएससी करने के बाद सोचा क्या करें? डॉक्टर बनने की इच्छा जगी तो एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा दी, रह गये, नम्बर नहीं आया। शहर में आयुर्वेद कालेज था। बीएएमएस की परीक्षा दी, नम्बर आ गया। इस तरह बीएएमएस की पढ़ाई करने लगे। 1976 में डिग्री कम्पलीट हो गयी और डॉक्टर बन गये।

प्रश्न- इसके बाद का सफर क्या रहा?

डॉ. बासु- मेरे चाचा जी एलआईसी में थे। डा. चमन लाल जी से उनकी मित्रता थी। उनसे बात हुई, उनकी दुकान पर बहुत भीड़ रहती थी। वह आंखों के ही डॉक्टर थे, सीखने के लिए उनके साथ दुकान पर बैठा। इसके बाद डॉ. वाई. के. महेन्द्रा और डा. हरबंश सिंह के साथ आईकैम्प किये। बांसमंडी में तीन साल तक बैठे। कुछ समय बाद अपना क्लीनिक शुरू किया। नयी बस्ती में घर में ही एक छोटी सी लैब बना ली और रिसर्च वर्क शुरू कर दिया।

प्रश्न- प्रैक्टिस करते-करते रिसर्च करने की प्रेरणा कहां से मिली?

डा. बासु- मेरी चाची शरीर से बहुत भारी यानि मोटी थीं। उन्हें डायबिटीज खतरनाक स्तर तक थी। इसी बीमारी से पहले उनकी आंखों की रोशनी कम हुई फिर पूरी तरह चली गयी। कई जगह इलाज चला। बरेली से लेकर दिल्ली तक के बड़े डॉक्टर्स ने दवाएं दी और ऑपरेशन भी किये लेकिन कोई लाभ नहीं। रोशनी नहीं लौटी। बस, यहीं से विचार बना, कि कोई तो ऐसी दवा होगी जो डायबिटीज के मरीजों पर भी असर करेगी।

10 साल लगे शोध में और एक दवा ईजाद हो गयी। कई सफल प्रयोगों के बाद प्रदेश सरकार से दवाई को रजिस्टर्ड कराया। रिजल्ट लगातार अच्छे आ रहे थे, फिर इसे 2005 में पेटेण्ट करा लिया। इस बीच सीडीआरआई, सी-मैप समेत सभी सरकारी और बड़ी प्रयोगशालाओं में हमारी आइसोटीन ड्रॉप की जांच हो चुकी है। सभी जगह से परिणाम और रिपोर्ट सकारात्मक रही। इसके बाद अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट जगत फार्मा का शुभारम्भ कर दिया।

प्रश्न- आपकी दवाओं से कौन-कौन सी बीमारियां ठीक हो जाती हैं?

डॉ. बासु- मोतियाबिन्द, सबसे ज्यादा लोगों को होने वाली बीमारी, कालापानी या ग्लूकोमा, डायबिटिक रेटिनोपैथी, वर्णान्ध रोग यानि कलर ब्लाइण्डनेस जैसी तमाम बीमारियों का इलाज हम सिर्फ दवाओं से बिना ऑपरेशन करते हैं। इसके अलावा जिन लोगों को चश्मा चढ़ा होता है उनका चश्मा हट भी सकता है। लोगों का चश्मा हटाने में हमें 70 से 80 फीसदी तक सफलता मिली है। बाकी 20 फीसदी की भी नम्बर घटने की गारण्टी है।

प्रश्न- इन बीमारियों का कारण क्या है?

डॉ. बासु- दुनिया में अंधता का मुख्य कारण रेटिना की समस्या है। चाहे उसके प्रेशर में तब्दीली हो या मधुमेह के चलते होने वाली समस्याएं। इन सभी के पीछे लोगों की जीवन शैली भी एक बड़ा कारण है। अनियमित या कम नींद, अनियमित भोजन, फास्ट फूड, जिन्दगी की भागमभाग के चलते तनाव, खान-पान की वस्तुओं में अंधाधुंध पेस्टीसाइड और इंसेक्टीसाइड्स या अन्य रसायनों का उपयोग भी बीमारियों को पैदा करता या बढ़ाता है।

प्रश्न- बीमारियों से बचने के लिए क्या सुझाव देंगे हमारे पाठकों और दर्शकों के लिए?

डॉ. बासु- 1-संतुलित जीवन शैली को अपनाने का प्रयास करें। तनाव न हो इसका भी प्रयास करें।

2- खानपान का ध्यान रखें।  3- कम रोशनी में आंखों दबाव डालकर न पढ़ें। पढ़ाई के कमरे में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था हो साथ ही रोशनी आपके बांयीं ओर से आनी चाहिए।

4-पढ़ाई के दौरान हर आधे घण्टे पर आंखों को दो मिनट का विश्राम दें।

5- यात्रा के समय यानि बस में या ट्रेन में अखबार या उपन्यास न पढ़ें।

6- इन दिनों स्मार्ट फोन और लैपटॉप का उपयोग बहुत बढ़ गया है, इसे सीमित करने की कोशिश करें।

7- भोजन में हरी सब्जियां जैसे- पालक, सरसों या फिर हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करें। इसके अलावा दूध और दही आदि का भी नियमित सेवन करें।

प्रश्न- आपको तमाम सम्मान और पुरस्कार मिल चुके हैं। सरकारी पुरस्कारों के लिए भी आपका नाम गया था। ऐसे में सरकार से क्या उम्मीद करते हैं या सहायता चाहते हैं?

डॉ. बासु- सरकार को जब उचित लगेगा मेरे योगदान को सम्मान देगी। मेरा काम है अपना कर्म करना, सो मैं निरन्तर कर रहा हूं। पिछली बार ही पद्मश्री मिलते-मिलते रह गया था। इस बार उम्मीद है मिलेगा।
जहां तक सरकार से उम्मीद का प्रश्न है तो मेरा कहना है कि जैसे सरकार ने पोलियो मुक्त भारत के लिए अभियान चलाया है, वैसे ही देश से अंधता निवारण के लिए भी अभियान चलाना चाहिए। यदि भारत सरकार सहयोग दे हम बहुत कम खर्च में अधिकतम अंधता को खत्म करने में सरकार का सहयोग कर सकते हैं।

विशाल गुप्ता- हमसे इस विस्तृत बातचीत के लिए आपने समय दिया इसके लिए आभार।
डॉ. बासु- आपने बरेली लाइव जैसे पोर्टल पर हमें स्थान देने के लिए चुना, इसके लिए आपका बहुत धन्यवाद विशाल जी।

bareillylive

Recent Posts

बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर में श्री अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मना, सैकड़ों ने चखा प्रसाद

Bareillylive : बरेली के प्राचीनतम एवं भव्यतम बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर में श्री अन्नकूट महोत्सव…

2 days ago

सूने पड़े चित्रगुप्त चौक को हिंदू सेना अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ट्रस्ट ने किया रोशन

Bareillylive : हिंदू सेना अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने श्री चित्रगुप्त चौक…

2 days ago

31,000 दीपों की रोशनी से जगमगाया रिजर्व पुलिस लाइन परेड ग्राउंड

Bareillylive : दीपावली त्योहार के पावन अवसर पर रिजर्व पुलिस लाइन बरेली में दीपोत्सव कार्यक्रम…

2 days ago

कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में करीब 3 साल बाद सुरक्षा बलों व आतंकियों में मुठभेड़

Bareillylive : श्रीनगर, 2 नवंबर, केएनटी : कश्मीर की राजधानी श्रीनगर आज करीब 3 साल…

2 days ago

तुलसी वन गौशाला के उदघाटन कर बोले सांसद, गौ सेवा पुनीत कार्य, य़ह ममतामय घर

Bareillylive: मर्सी फॉर ऑल सोसाइटी संस्था के द्वारा ग्राम आसपुर खूबचंद, रिठौरा रोड, बरेली में…

6 days ago

रणधीर गौड़ रचित ‘लावनी गीत’ एवं शिवरक्षा रचित ‘शिवार्चना’ का हुआ विमोचन

Bareillylive : कवि गोष्ठी आयोजन समिति के तत्वावधान में रससिद्ध शायर पंडित देवी प्रसाद गौड़…

6 days ago