दिनेश पांडेय, चम्पावत। पर्वतीय इलाकों में बुधवार को संकटचौथ पर सुहागिनों ने अपने अटल सुहाग की कामना के साथ ही परिवारीजनों के कष्ट निवारण के लिए उपवास रखकर पूजा-अर्चना की।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की श्रीगणेश चतुर्थी को संकष्टहर चतुर्थी यानी संकटचौथ के रूप में मनाया जाता है। मैदानी क्षेत्रों में कई लोग इसे बहुला चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन सुहागिन महिलाओं के साथ ही घर की सयानी महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं। माना जाता है कि इस व्रत और पूजन के बाद जहां सुहागिनों का सुहाग अटल रहता है, वहीं परिवार में आने वाले कष्टों का निवारण होता है।
बुधवार को सुबह से ही पुरोहित दीपक कुलेठा, रमेश पुनेठा, बसंत पांडेय, कुलदीप कुलेठा, उमा शंकर, दीपक जोशी, बसंत जोशी, मोहन पांडेय, हरीश पांडेय, पंकज जोशी, कौशल कुलेठा, वंशीधर फुलारा, कीर्ती बल्लभ शक्टा आदि ने घरों और देवालयों में पूजन कराया। इस मौके पर कई स्थानों पर पूरे दिन भजन-कीर्तन से वातावरण भक्ति मय बना रहा।