गणना के अनुसार शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल में शुद्ध रूप से व्याप्त है। अतः धनतेरस का पर्व शुक्रवार को मनाना ही धर्म शास्त्रीय मान्यता प्राप्त रहेगा।

बरेली। ॐ श्री गणपते नमः, ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः, ॐ श्री धनवंतरी  नमः।

इस वर्ष धन त्रयोदशी (धनतेरस) को लेकर के भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। 12 नवंबर दिन गुरुवार को त्रयोदशी रात्रि 9:31 बजे प्रारंभ होगी जो कि 13 नवंबर शुक्रवार को सायं 6:00 बजे तक रहने वाली है।

बरेली निवासी ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार,धन त्रयोदशी के पूजन आदि का मुख्य काल प्रदोष काल कहलाता है जो कि प्रतिदिन बदलता रहता है। रात्रि मान के पांच भाग करने पर पहला भाग प्रदोष के नाम से जाना जाता है।

गुरुवार को प्रदोष काल सायं 7:48 बजे तक रहेगा और त्रयोदशी रात्रि में 9:31 बजे प्रारंभ होगी। अतः प्रदोष काल स्पर्श नहीं हो रहा है। दूसरी ओर शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि सूर्योदय से प्रारंभ होकर सायंकाल 6:00 बजे तक रहने वाली है, जबकि सूर्यास्त का समय सर्व सम्मत 5:16 बजे  रहेगा। इस अवधि में प्रदोष काल त्रयोदशी युक्त बन रहा है जो कि 49 मिनट का रहने वाला है। यहां यह उल्लेख करना ठीक रहेगा एक मुहूर्त दो घड़ी या 48 मिनट का होता है। इस गणना के अनुसार शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल में शुद्ध रूप से व्याप्त है। अतः धनतेरस का पर्व शुक्रवार को मनाना ही धर्म शास्त्रीय मान्यता प्राप्त रहेगा।

धनतेरस के सभी पूजन आदि कार्य सूर्य उदय से सायं 6:00 बजे के बीच करना उपयुक्त रहेगा।

नरक चतुर्दशी शुक्रवार को ही शाम 6:00 बजे के बाद मनाई जाएगी।

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