राधा नाम तारन हार जय जय श्री राधे,जानें आज का पंचांग

🌞 सुप्रभातम् 🌞
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कलियुगाब्द……………..5120
विक्रम संवत्…………….2075
शक संवत्……………….1940
मास……………………….ज्येष्ठ
पक्ष……………………….शुक्ल
तिथी…………………….पूर्णिमा
प्रातः 10.23 पर्यंत पश्चात प्रतिपदा
रवि……………………उत्तरायण
सूर्योदय………..05.48.16 पर
सूर्यास्त…………07.11.19 पर
सूर्य राशि…………………मिथुन
चन्द्र राशि……………………धनु
नक्षत्र………………………..मूल
दोप 12.14 पर्यंत पश्चात पूर्वाषाढ़ा
योग…………………………ब्रह्मा
रात्रि 02.21 पर्यंत पश्चात इंद्र
करण…………………………बव
प्रातः 10.23 पर्यंत पश्चात बालव
ऋतु………………………..ग्रीष्म
दिन……………………….गुरुवार

🇬🇧 आंग्ल मतानुसार :-
28 जून सन 2018 ईस्वी ।

👁‍🗨 राहुकाल :-
दोपहर 02.10 से 03.50 तक ।

🚦 दिशाशूल :-
दक्षिणदिशा –
यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक……………..1
🔯 शुभ रंग…………….पीला

✡ चौघडिया :-
प्रात: 05.47 से 07.28 तक शुभ
प्रात: 10.48 से 12.29 तक चंचल
दोप. 12.29 से 02.09 तक लाभ
दोप. 02.09 से 03.49 तक अमृत
सायं 05.30 से 07.10 तक शुभ
सायं 07.10 से 08.30 तक अमृत
रात्रि 08.30 से 09.50 तक चंचल |

एक बार व्यक्ति अपनी समस्या लेकर पास के ही एक संत के पास जाता है, और संत से कहते है, संत जी मेरा एक पुत्र है, वह न तो कभी पूजा करता है, और न ही कभी भगवान का नाम लेता है, मैंने बहुत प्रयत्न किया पर वह मेरी बात नहीं मानता है। कृपया कर अब आप ही कुछ कीजिये जिससे उसके मन में बदलाव आ सके।

उस व्यक्ति की सारी बात सुन संत जी कहते है – ठीक है आप कल अपने पुत्र को यह लेकर आ जाईये। दूसरे दिन वह व्यक्ति अपने पुत्र को लेकर संत के पास आता है। संत उस बालक से कहते है – बेटा एक बार राधे राधे बोलो।

वह बालक कहता है – मैं यह क्यू बोलु?

संत जी कहते है – मैं तुम्हें राधे राधे बोलने से क्या लाभ होता है यह अवश्य बताऊंगा, लेकिन पहले तुम राधे राधे तो बोलो।

संत की बात मान वह बालक एक बार राधे-राधे कहता है। और कहता है अब मुझे यह कहने का क्या लाभ है, मुझे बताये।

तब संत जी उस बालक को विस्तार से बताते है – सुनो बेटा समय के चक्र अनुसार जब तुम युवास्था में जाओगे और उसके बाद वृद्ध अवस्था ममें और फिर उसके बाद जब तुम मृत्यु को प्राप्त कर यमलोक जाओगे। तब तुमसे यमराज पुछेंगे कि क्या कभी तुमने पूजा की, क्या कभी तुमने भगवान का नाम लिया। तब तुम कह देना हाॅ मैंने एक बार राधे राधे कहा था।

समय बीतता गया और वह बालक युवा से वृद्ध अवस्था और फिर मृत्यु को प्राप्त कर, जैसे ही वह यमलोक पहुचा, यमराज ने कहा – क्या तुमने कभी कोई अच्छा कार्य किया है, कभी भगवान का नाम लिया है।

तब वह व्यक्ति कहता है – हाॅ मैंने अपने पूरे जीवनकाल में एक बार राधे राधे कहाॅ था। लेकिन किसी ने मुझे इसकी महिमा व वास्तविकता कभी नही बताई। क्या आप मुझे इस शब्द की महिमा बता सकते है।

राधा नाम की महिमा सुन यमराज भी सोच में पड़ जाते है, और कहने लगते है, राधा नाम की महिमा तो बहुत है, परन्तु मुझे ठीक से ज्ञात नहीं है। एक काम करते है हम चलकर इंद्र से राधे नाम की महिमा पुहचे है, वह व्यक्ति माना जाता है, और कहता है ठीक मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार हूॅ। लेकिन मेरे लिए एक पालकी की व्यवस्था करो मैं उसमें बैठकर जाऊंगा।

यमराज उसके लिए एक पालकी मंगवाते है। जब उस पालकी को चार कहार पालकी उठाने लगते है तब वह व्यक्ति कहता है, रूकिए और एक कहार को हटाकर यमराज से कहता है आप कहार उठाओं। इस असमंजस को देख यमराज पालकी उठा इंद्रलोक जाते है। वहाॅ इंद्र के पास पहुच राधा नाम की महिमा पूछते है। इंद्र भी इसका ठीक से जवाब नहीं दे पाते है। और कहते है चलो चलकर ब्रम्हा जी से पछते है, अब एक ओर यमराज और दूसरी ओर इंद्र पालकी उठा ब्रम्हलोक जाते है, वह पहुचकर ब्रम्हा जी से भी यही सवाल पुछते है, ब्रम्हा जी भी कहते है, राधा नाम की तो महिमा बहुत सारी है परन्तु वास्तविकता क्या है, यह तो मुझे भी ज्ञात नहीं है। एक काम करते हैं राधा नाम की महिमा की वास्तविकता चलकर भगवान शंकर से पुछते है, उन्हें अवश्य पता होगा।

ब्रम्हा जी, यमराज, इंद्र सभी पालकी उठाये भगवान शिव के पास आ पहुचते है। और भगवान शंकर से राधा नाम की महिमा के बारे में पुछते है, भगवान शिव भी राधा नाम की महिमा बताने में असमर्थता जताते है। और वे भी राधा नाम की वास्तविकता जानने पालकी की चौथा भाग पकड़ भगवान विष्णु के धाम की ओर चले जाते है।

सभी भगवान विष्णु के धाम पहुचते हैं, तब वह व्यक्ति भगवान विष्णु के राधा नाम की महिमा के बारे में पुछता है, तब भगवान विष्णु कहते है, जिस पालकी में तुम आये हो उसे स्वंय मृत्यु के राजा यम, देवताओं के राजा इंद्र, ब्रम्हांड के राजा ब्रम्हा और साक्षात भगवान शिव ने उठाया है, इससे बड़ी राधा नाम की और क्या महिमा होगी। अब तुम उस पालकी से उतरकर मेरे सिंहासन में विराजमान हो जाओं। ऐसी है राधा नाम की शक्ति, इसलिए भगवान ने स्वंय कहाॅ है, जो भी राधा शब्द का उच्चारण करता है, मैं स्वयं उसकी ओर चले आता हूँ, और उसे अपने शरणागत् कर लेता हूॅ।

दंत कथाये
!!जय जय श्री राधे!!

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