नई दिल्ली। अंटार्कटिका में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बर्फ पिघलने की घटनाएं सामने आती रहती है। हाल ही में यह वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाया है कि अंटार्कटिका में एक विशालकाय बर्फ टूटने की कगार पर है।
बताया जा रहा है कि यह विशालकाय बर्फ का चट्टान कभी भी पिघलकर गिर सकता है। दरअसल इसकी चर्चा इसलिए हो रही है कि क्योंकि बर्फ के इस चट्टान का आकार अमेरिका के मैनहट्टन द्वीप से भी बड़ा है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में सेटेलाइट परीक्षण के दौरान यह पता चला है कि यह बर्फ का चट्टान 1,750 वर्ग किलोमीटर (600 वर्ग मील) के दायरे में फैला हुआ है। यहां पिछले कई साल में बर्फ की कई चट्टानें पिघलकर गिरती और टूटती है। दरअसल इनके गिरने की वजह ग्लोबल वार्मिंग है जब तापमान बढ़ने की वजह से बर्फ की चट्टानें कमजोर होकर पिघलने लगती है।
गौरतलब है कि इससे पहले के रिपोर्ट्स में यह कहा गया है कि ‘अंटार्कटिका के करीब समुद्री बर्फ बढ़ रही है और इसके विपरीत ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ पिघल रही है और ग्लेशियर घट रहे हैं।’ लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि हवा और स्थानीय परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण ही अंटार्कटिका में बर्फ में विकास हो रहा है। वैज्ञानिको ने इस बारे में कुछ नहीं बताया की अगर यह चट्टान टूट जाये तो क्या होगा।