BareillyLive: भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में आज दस दिवसीय ” रिफ्रेशर कोर्स “फ्रेक्चर मेनेजमेंट इन एनीमल्स“ का शुभारम्भ हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश विदेश के 22 पशुचिकित्साविद जिनमें श्री लंका, नेपाल, लद्दाख, मध्य प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, आंध प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, मद्रास, पंजाब, कनार्टक, कोलकाता तथा उत्तराखण्ड राज्य के पशुचिकित्साविद प्रतिभागिता कर रहे हैं। इस अवसर पर अतिथियों ने कोर्स से सम्बन्धित एक कम्पेंडियम का विमोचन भी किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ऑल इण्डिया नेटवर्क प्रोगाम ऑन डायग्नोस्टिक इमेजिंग एण्ड मेनेजमेंट ऑफ सर्जिकल कंडीशन्स इन एनिमल्स (एआईएनपी-डीआई एम एस सीए) तथा भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के शल्य चिकित्सा विभाग द्वारा प्रायोजित किया गया है। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए संस्थान के संयुक्त निदेशक (शोध) डा. एस.के. सिंह ने कहा कि समय के साथ सभी विज्ञानों में तकनीकों का परिवर्तन होता रहता है जिसे इसके उपयोगकर्ता तक पहुँचाने के लिए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम बहुत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान ने कई नवीन तकनीकें तथा नैदानिक विकसित किये हैं जिनके बारे में आपको यहां जानकारी मिलेगी। उन्होंने नेपाल तथा श्रीलंका से आये पशुचिकित्साविदों से कहा आप यहां से आप ज्ञान अर्जित कर जायें तथा एक अच्छी रिलेशनशिप कायम करें जिससे आने वाले समय एक दूसरे देशों लाभ पहुंचे। उन्होंने पशु पुर्नरूत्पादन से जुड़ी बीमारियो के बारे में भी उपस्थित लोगों को बताया। अंत में उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजकों को सफल प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए बधाई दी।
पाठ्यक्रम निदेशक तथा रेफॅरल पॉलीक्लीनिक के प्रभारी डा अमरपाल ने बताया कि शल्य चिकित्सा विभाग द्वारा लगातार पशुचिकित्साधिकारियों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं इसी कड़ी में इस बार इस कार्यक्रम में देश तथा विदेश के प्रतिभागियों को भी सम्मिलत किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षणार्थियों को आईवीआर आई द्वारा विकसित नवीन सर्जरी, बडे तथा छोटे़ पशुओं के फ्रेक्चर सम्बन्धी समाधान, फिक्सटेटर प्लेट का प्रयोग, ऐनेथिसिया, ई-सिस्टोकोमी आदि के बारे में सैद्धान्तिक के साथ-साथ प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस अवसर पर प्रभारी वन्य जीव केन्द्र डा. अभिजीत पावडे़ ने कहा कि पशुचिकित्सा व्यवसाय में बहुत परिवर्तन आया है। अब इस क्षेत्र में आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति द्वारा पशु रोगों का निदान सम्भव है। कार्यक्रम का संचालन शल्य चिकित्सा विभाग की प्रधान वैज्ञानिक डा. रोहित द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन इसी विभाग के डा. अभिषेक सक्सेना दिया गया। इस अवसर पर डा. संजीव मेहरोत्रा, डा. यू.के.डे. आदि उपस्थित रहे।