फेसबुक प्रवक्ता ने कहा,’भारत में लोगों के लिए फ्री बेसिक्स नहीं रहेगा।‘ हाल ही में ट्राई ने फेसबुक की मुहिम को तगड़ा झटका देते हुए इंटरनेट कंपनियों को अलग-अलग दामों पर सेवाएं मुहैया कराने की इजाजत नहीं दी थी और ऐसे में फेसबुक एक पेड प्लेटफॉर्म में बदल गया था।
भारत में बंद होने जाने के बाद भी फेसबुक की फ्री बेसिक्स प्रोजेक्ट दुनिया के 30 देशों में जारी रहेगी। ट्राई के इस कदम को नेट न्यूट्रैलिटी के समर्थन में और फेसबुक की फ्री बेसिक्स तथा एयरटेल जीरो के विरोध में माना जा रहा है।
गौरतलब है कि फेसबुक के ‘फ्री बेसिक्स’ प्रोजेक्ट पर नेट न्यूट्रैलिटी के उल्लंघन का आरोप लगता रहा है। हालांकि, कंपनी यह कहती रही है कि फ्री बेसिक्स के जरिए वो भारत के ग्रामीण इलाकों में मोबाइल यूजर्स को मुफ्त इंटरनेट उपलब्ध कराने वाली थी।
फेसबुक के ‘फ्री बेसिक्स’ प्रोजेक्ट में कस्टमर एजुकेशन, हेल्थकेयर व रोजगार जैसी सेवाओं को मोबाइल फोन पर ऐप के माध्यम से फ्री देने की बात कही जा रही थी। इसके लिए विशेष रूप से एक अलग ऐप और प्लेटफॉर्म भी बनाया गया था।
ट्राई के फैसले के बाद फेसबुक के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क जकरबर्ग ने निराशा जताई है। उन्होंने कहा, भारत में इंटरनेट संपर्क को बढ़ाने के बीच आने वाली अड़चनों को हटाने के लिए वह काम जारी रखेंगे। भले ही इस सेवा को भारत में बंद कर दिया हो, लेकिन यह दुनिया के 30 देशों में जारी रहेगी।
इसलिए विवादों में थी फेसबुक की ‘फ्री बेसिक्स’ योजना
फेसबुक का दावा था कि ‘फ्री बेसिक्स’ योजना के माध्यम से भारत के ग्रामीण इलाकों के गरीब मोबाइल उपयोगकर्ताओं को मुफ्त इंटरनेट उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के तहत शिक्षा, हेल्थकेयर व रोजगार जैसी सेवाएं मोबाइल फोन पर ऐप के जरिए नि:शुल्क (बिना किसी डेटा योजना के) दी जाएंगी। इस प्लेटफॉर्म के लिए विशेष रूप से ऐप्स बनाए गए हैं।
फेसबुक ने भारत में फ्री बेसिक्स सुविधा के लिए रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ समझौता किया है। दिसंबर 2015 में ट्राई ने रिलांयस कम्युनिकेशंस से इस सेवा को अस्थायी तौर पर स्थगित रखने के लिए कहा था। इसी साल फरवरी में फ्री बेसिक्स को 6 राज्यों में Internet.org नाम से लॉन्च किया गया था।
क्या है नेट न्यूट्रैलिटी
नेट न्यूट्रैलिटी का मतलब है कि कोई भी उपयोगकर्ता इंटरनेट को बिना किसी रोक या नियंत्रण के इस्तेमाल कर सके। इसके साथ यह किसी एक खास कंपनी द्वारा संचालित ना हो।
क्या है फ्री बेसिक्स
इस योजना में उपभोक्ता कुछ वेबसाइट्स को नि:शुल्क एक्सेस कर सकते हैं। लेकिन यूट्यूब, गूगल या ट्विटर जैसी कई अन्य वेबसाइट्स को इस योजना में नहीं देखा जा सकता है। यानी मोबाइल यूजर को इन वेबसाइट्स को एक्सेस करने के लिए अलग से फीस चुकानी होगी। प्रीपेड यूजर्स के लिए यह इंटरनेट वाउचर की तरह होगा, तो पोस्टपेड यूजर्स के मासिक बिल में यह शुल्क जुड़कर आएगा।
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