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Science & Technology Desk: आज के समय में धरती पर बढ़ते प्‍लास्टिक कचरे का बोझ और इसके छोटे-छोटे कणों से पारिस्थितिक तंत्र का हो रहा नुकसान वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। ले‍किन यह खतरा किस कदर बढ़ चुका है अब इसकी एक नई चिंताजनक बात सामने आई है। एक शोध में माइक्रोप्‍लास्टिक (Micro-plastics) की मौजूदगी इंसान के ऊतकों (Human Tissues) तक में पाई गई है, जो कि बेहद चिंता की बात है। 

यह बात काफी समय पहले पता लग चुकी है कि भोजन, पानी और यहां तक ​​कि सांस लेने के दौरान भी प्लास्टिक के बेहद बारीक कणों का सेवन लोगों द्वारा किया जाता है। हालांकि इससे मानव जाति के स्‍वास्‍थ्‍य पर क्‍या असर हो रहा है, इस बारे में अब तक पता नहीं चल सका है। लेकिन 2018 के एक अध्ययन में यह पाया गया कि माइक्रोप्लास्टिक्स मानव आंत से होकर गुजरे हैं।

‘प्लास्टिक ओसियन’ के डेटा के अनुसार, हर साल कम से कम 3 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। जब प्लास्टिक 0.2 इंच से छोटे टुकड़ों में टूट जाता है तो उसे माइक्रोप्लास्टिक्स कहते हैं, वहीं  0.001 मिमी से छोटे टुकड़ों को नैनोप्लास्टिक्स कहा जाता है। 

मानव ऊतकों में मिले प्‍लास्टिक के सूक्ष्‍म कण 

एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएट स्‍टूडेंट्स द्वारा किए गए नए शोध में दावा किया गया है कि मानव के ऊतकों में प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मौजूद हैं।

इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उन्होंने कई मानव शरीरों के अंगों जैसे फेफड़े, यकृत और गुर्दे से 47 मानव ऊतकों के नमूनों लिए। इस रिसर्च में शोधकर्ता चार्ल्स रोलस्की और वरुण केलकर शामिल थे।

सभी नमूनों में एक सामान्‍य घटक ‘बिस्फेनॉल ए’  मिला, जिसका उपयोग फूड मैन्‍यूफेक्‍चरिंग में किया जाता है। जबकि इसे हृदय संबंधी समस्‍याओं के लिए जिम्‍मेदार माना गया है। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने तो BPA को ‘पशुओं पर हुए अध्ययन में प्रजनन, विकासात्मक, और प्रणालीगत विषैले पदार्थ’ के रूप में संदर्भित किया था।

एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के रॉल्फ हाल्डेन ने कहा कि- यह मानना ​​’नादानी’ होगी कि प्लास्टिक हमारे शरीर के अलावा हर जगह मौजूद है, क्‍योंकि यह हमारे शरीर में भी है। अध्‍ययन में यह भी कहा गया कि प्लास्टिक के ऐसे छोटे कण बांझपन, सूजन और यहां तक ​​कि जानवरों में कैंसर का कारण बन सकते हैं। 

By vandna

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