नई दिल्ली। बीसीसीआई के विद्रोही तेवरों के प्रति कड़ा रवैया अपनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने उसके अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को उनके पदों से हटा दिया और कहा कि उन्हें तुरंत प्रभाव से बोर्ड का कामकाज करना बंद कर देना चाहिए। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही ठाकुर के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का भी फैसला किया। उनसे जवाब मांगा गया कि बीसीसीआई में सुधार लागू करने के अदालत के निर्देशों के क्रियान्वयन में बाधा पहुंचाने के लिये आखिर क्यों न उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि बीसीसीआई के कामकाज को प्रशासकों की एक समिति देखेगी और उसने वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस नरिमन और इस मामले में न्यायमित्र के रूप में सहायता कर रहे गोपाल सुब्रहमण्यम से प्रशासकों की समिति में ईमानदार व्यक्तियों को सदस्यों के रूप में नामित करने में अदालत की मदद करने का आग्रह किया।
यह भी स्पष्ट किया गया कि नये प्रशासक के बीसीसीआई का कामकाज संभालने तक अध्यक्ष का कामकाज बोर्ड का सबसे वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सचिव का काम वर्तमान संयुक्त सचिव संभालेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि बीसीसीआई और राज्य संघों के सभी पदाधिकारियों को शपथपत्र देना होगा कि वे शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन करेंगे जिसने भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश आर एम लोढ़ा की अगुवाई वाले पैनल की सिफारिशों को स्वीकार किया है। इसके साथ ही आगाह किया गया है कि बीसीसीआई या राज्य संघों के जो पदाधिकारी शीर्ष अदालत द्वारा स्वीकार की गयी लोढ़ा पैनल की शर्तों को मानने में नाकाम रहेंगे उन्हें अपना पद छोड़ना होगा। यह भी स्पष्ट किया गया कि लोढ़ा पैनल की सिफारिशों के अनुसार 70 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति, मानसिक तौर पर असंतुलित कोई व्यक्ति, मंत्री, सरकारी कर्मचारी, दोषी ठहराया जा चुका कोई व्यक्ति , नौ साल की संचित अवधि तक पद पर रह चुका व्यक्ति या फिर किसी अन्य खेल संघ से जुड़ा कोई व्यक्ति क्रिकेट संस्था का पदाधिकारी बनने के योग्य नहीं होगा ।
न्यायालय ने यह सिफारिश भी मान ली थी कि हितों के टकराव से बचने के लिये एक व्यक्ति क्रिकेट प्रशासन में एक ही पद पर रहेगा । इसके अलावा कैग प्रतिनिधि के आने के बाद बीसीसीआई की सभी प्रशासनिक समितियां रद्द कर दी थी । न्यायालय द्वारा पिछले साल चार जनवरी को नियुक्त लोढा समिति ने बीसीसीआई में प्रशासनिक बदलाव और आमूलचूल सुधारों की सिफारिश की थी ।
भाषा से साभार