कभी नाउम्मीदी के श्मशान में बदल चुकी श्रमिक बस्तियों के अनगिनत होनहार सीए,एमबीए, डॉक्टर, इंजीनियर, सैन्य अधिकारी, शिक्षक बन इंसान…
बरेली, मेरा गृह नगर। डेढ़ दशक से भी ज्यादा हो गया यहां मेहमान के जैसे ही आना-जाना हो पाया। अब जब…