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अड्डेबाज गजेन्द्र — उजड़े चमन के धूल के फूल

कभी नाउम्मीदी के श्मशान में बदल चुकी श्रमिक बस्तियों के अनगिनत होनहार सीए,एमबीए, डॉक्टर, इंजीनियर, सैन्य अधिकारी, शिक्षक बन इंसान की जिजीविषा का जयघोष कर रहे हैं। बरेली-रामपुर राजमार्ग और…

अड्डेबाज गजेन्द्र – बचपन के वो अड्डे, वो पेड़

बरेली, मेरा गृह नगर। डेढ़ दशक से भी ज्यादा हो गया यहां मेहमान के जैसे ही आना-जाना हो पाया। अब जब फुसर्त से लौटा हूं तो मानो बचपन लौट आया…

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