लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार अब दुकान और वाणिज्यिक संस्थान के लाइसेंस का बार-बार नवीनीकरण नहीं कराना होगा। इसके लिए पंजीकरण शुल्क को 15 गुना बढ़ाते हुए लाइसेंस को पूरे जीवन के लिए अनुमन्य कर दिया गया है। इसके लिए उप्र दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान (नवम संशोधन) नियमावली 2022 को मंजूरी दे दी गयी है।
अपर मुख्य सचिव श्रम सुरेश चंद्रा ने यहा जानकारी दी। के मुताबिक पहले दुकानों या वाणिज्य प्रतिष्ठानों के लाइसेंस का पांच-पांच साल में नवीनीकरण कराना पड़ता था। इसकेलिए प्रतिष्ठान स्वामी को हर बार नवीनीकरण शुल्क जमा कराना पड़ता था। अब ऐसा नहीं होगा। अब एक बार कराया गया पंजीकरण जीवन भर चलेगा। इस लाइसेंस का बार-बार नवीनीकरण नहीं कराना होगा। 15 गुना शुल्क के साथ यह लाइसेंस एक ही बार जारी होगा। इस एक मुश्त राशि से जहां सरकार की आय बढ़ेगी तो वहीं व्यवसायी को भी आसानी होगी।
कैबिनेट में यह भी अहम फैसला लिया गया कि यदि किसी दुकान या प्रतिष्ठान में काम करने वाला केवल एक ही व्यक्ति है, चाहे वह उसका स्वामी ही क्यों न हो, उसे लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं है। यदि संख्या एक से ज्यादा है तो लाइसेंस लेना होगा। इसके लिए शुल्क जमा करना होगा।
उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेसिंक साइंसेज लखनऊ परिसर में स्थापित होने वाले राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) गांधीनगर गुजरात के रीजनल सेंटर का भवन बनने तक रीजनल सेंटर डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय परिसर में स्थित समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालय भवन में संचालित किया जाएगा। योगी कैबिनेट की मंगलवार को लोक भवन में आयोजित बैठक में विद्यालय भवन तीन वर्ष के लिए गृह विभाग को निशुल्क देने के लिए गृह विभाग और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के बीच होने वाले एमओयू के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों तथा पुलिस सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वाले दक्ष कार्मिकों की उपलब्धता, शोध, प्रशिक्षण एवं आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा जैसे महत्वूपर्ण विषयों के लिए गुजरात के गांधीनगर में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय स्थापित किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति की ओर से आरआरयू का रीजनल सेंटर यूपी में स्थापित करने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइंसेज के परिसर में केंद्रीय संस्थान के लिए आरक्षित 5 एकड़ भूमि पर रीजनल सेंटर स्थापित करने की सैद्धांतिक सहमति दी थी।
आरआरयू के रीजनल सेंटर के भवन का निर्माण होने तक डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय परिसर में चिंहित राजकीय समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालय के भवन में रीजनल सेंटर कैंपस संचालन का निर्णय किया है। विद्यालय भवन तीन वर्ष के लिए गृह विभाग को निशुल्क आवंटित किया जाएगा। इसके लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और गृह विभाग के बीच एक एमओयू साइन किया जाएगा। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के अस्थाई रीजनल सेंटर के संचालन के लिए व्यय भार का वहन आरआरयू की ओर से वहन किया जाएगा।
अयोध्या में मुख्य मार्ग से श्रीराम जन्मभूमि तक 12.940 किलोमीटर मार्ग का निर्माण, चौड़ीकरण और सौंदर्यीकरण किया जाएगा। सहादतगंज नया घाट मेन स्पाईन रोड के निर्माण के लिए भूमि, मकान और दुकानों का अधिग्रहण किया जाएगा। इससे प्रभावित होने परिवारों और दुकानदारों को नियमानुसार उचित मुआवजा देकर विस्थापित किया जाएगा। योगी कैबिनेट की मंगलवार को आयोजित बैठक में मार्ग निर्माण और भूमि अधिग्रहण के लिए 797.69 करोड़ का प्रस्ताव मंजूर किया गया।
पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य मंत्री जयवीर सिंह ने लोक भवन के मीडिया सेंटर में कैबिनेट निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि अयोध्या में रोड के निर्माण के लिए भूमि एवं भवन अधिग्रहण पर 378.77 करोड़ रुपये व्यय होंगे। उन्होंने बताया कि मार्ग का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग के जरिये किया जाएगा। भूमि अधिग्रहण वित्तीय नियमों के आधार पर जमीन अधिग्रहण के लिए अधिकृत संस्था के माध्यम से किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अयोध्या के विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार इस मार्ग को आधुनिक बनाने के लिए सड़क के साथ ही सीवर, पावर केबिल, वाटर डक्ट की भी व्यवस्था की जाएगी। श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए शौचालय, बैंच, पेयजल सहित अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की जाएगी। इस 12.940 किलोमीटर मार्ग का आगणन पूर्ण रूप से नए सिरे से एक माडर्न सिटी की ट्रंक रोड के रूप में किया गया है। ड्रेन की डिजाइन मानक के अनुरूप की गई है।
उप्र व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य और कार्य शर्त संहिता नियमावली को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी। इससे संबंधित बनाए गए तीन एक्ट को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। अपर मुख्य सचिव श्रम सुरेश चंद्रा ने बताया कि केंद्र सरकार ने श्रम विभाग के29 कानूनों को खत्म कर चार संहिता बना दी हैं। सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध तथा मजदूरी संहिता को पहले ही हरी झंडी दी जा चुकी है। अब कैबिनेट में व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य और कार्य शर्त संहिता के प्रख्यापन को मंजूरी दी गई।
इसके तहत अब किसी अधिष्ठान या कारखाने में काम करने वाले 45 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिक का या खतरनाक प्रकृति कारखाने में काम करने वाले श्रमिक का वर्ष में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण कराना होगा। प्रत्येक नियोजन कर्मचारी का नियुक्ति पत्र जारी करेगा। ऐसे कारखाने जहां 500 से अधिक कर्मकार काम करते हों या खतरनाक प्रकृति के ऐसे कारखाने जहां 250 से अधिक कर्मकार काम करते हों वहां सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति अनिवार्य होगी। साथ ही सेफ्टी कमेटी का गठन करना होगा। किसी भी दिन विश्राम सहित कर्मकार के काम का फैलाव 12 घंटे से अधिक नहीं होगा।
सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम करने पर अतिरिक्त घंटों के लिए दोगुना भुगतान करना होगा। शर्तों के साथ महिलाएं रात्रि में भी काम कर सकेंगी। श्रमिकों को भवन एवं सन्निर्माण बोर्ड की या श्रम विभाग की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लाभ दिलाए जाएंगे। बीड़ी, सिगार कर्मकारों की समस्याओं का निदान करना होगा। बागानों में नियोजित श्रमिकों के लिए आवास, शौचालय, शिशु सदन, बच्चों के लिए शैक्षणिक सुविधाएं, कीटनाशकों से सुरक्षा आदि का प्रावधान किया गया है। नियमों का पहली बार उल्लंघन शमन योग्य होगा पर दूसरी बार वाद कार्यवाही होगी।
प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को सौगात देते हुए गंगा पार के क्षेत्रों (ट्रांस गंगा) के विकास के लिए वाराणसी नगर निगम की सीमा का विस्तार करने का फैसला किया है। इसके लिए रामगनर नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत सूजाबाद को वाराणसी नगर निगम में शामिल कर दिया गया है। यानि इन दोनों निकायों का अस्तित्व अब समाप्त हो जाएगा। नगर विकास विभाग द्वारा तैयार किए गए इससे संबंधित प्रस्ताव को मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है।
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने बताया कि सरकार के इस फैसले से जहां गंगा पार के क्षेत्र रामनगर और आसपास के इलाकों के सुनियोजित विकास को गति मिलेगी, वहीं इस इलाके में रहने वाले लोगों को भी शहरी सुविधाएं मुहैया हो सकेंगे। साथ ही क्षेत्र का विकास होने से पुराने शहर पर आबादी का दबाव कम करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि नगर निगम वाराणसी का सीमा विस्तार से नगर निगम की आय में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर बनने के बाद यहां श्रद्धालुओं के आने संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इसीलिए वाराणसी में मूलभूत सुविधाएं और बढ़ाने की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है।
प्रस्ताव के मुताबिक सीमा विस्तार के बाद वाराणसी नगर निगम का दायरा बढ़ाकर 18256.017 हेक्टेयर और आबादी 1636659 हो गई है। मौजूदा समय वाराणसी नगर निगम का क्षेत्रफल 16716.617 हेक्टेयर और वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर जनसंख्या 1567219 है। नगर निगम में विलय होने वाले नगर पंचायत सूजाबाद का क्षेत्रफल 1177 हेक्टेयर और आबादी 20308 है। जबकि नगर पालिका परिषद रामनगर का क्षेत्रफल 362.40 हेक्टेयर और आबादी 49132 है। इन्हें वाराणसी नगर निगम में शामिल किए जाने के बाद जरूरत के आधार पर विकास योजनाएं लाई जा सकेंगी। मौजूदा समय यहां केंद्र और राज्य सरकार की कई परियोजनाएं चल रही हैं। लोगों की सुविधाओं के लिए रोपवे की सेवा भी जल्द शुरू होने वाली है।
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