प्रयागराज। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। नदीम अहमद व अन्य की इस जनहित याचिका पर 26 जुलाई को सुनवाई होगी। गौरतलब है कि अयोध्या के धन्नीपुर में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ द्वारा गठित किए गए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की देखरेख में ही मस्जिद का निर्माण कार्य किया जा रहा है। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में दिए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस मस्जिद के लिए जमीन देने का सरकार को निर्देश दिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय यादव और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को 4 सप्ताह का समय दिया है।
इस याचिका में हाईकोर्ट से अपील की गई है कि इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के गठन के दस्तावेज मंगाकर उनको रद्द किया जाए। अदालत ने कहा कि जिन दस्तावेजों को रद्द करने की मांग की गई है वे याचिका के साथ दाखिल ही नहीं किए गए हैं। ऐसे में जो दस्तावेज अदालत में हों ही नहीं, उन्हें रद्द करने पर विचार नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने दस्तावेज तलब करने की मांग अस्वीकार कर दी लेकिन न्याय हित में याची को चार सप्ताह में दस्तावेज दाखिल करने का समय दिया है। इसके साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि यदि दस्तावेज दाखिल नहीं किये गए तो याचिका स्वत: ही खारिज हो जाएगी।
अयोध्या में धन्नीपुर मस्जिद का निर्माण इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) ट्रस्ट की देखरेख में हो रहा है। धन्नीपुर गांव में जो मस्जिद बनेगी, उसका आकार लगभग बाबरी मस्जिद के आकार जैसा होगा। अयोध्या में लम्बे विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने मस्जिद के निर्माण के लिए 5एकड़ जमीन आवंटित की है।
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