लखनऊ। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। इसमें गंभीर मरीजों, लक्षण विहीन मरीजों और हल्के लक्षण वाले मरीजों को लेकर उठाए जाने वाले सुरक्षात्मक और चिकित्सकीय कदमों की जानकारी दी गई है। राज्य सरकार ने डिस्चार्ज नीति में संशोधन किया है।
नई गाइडलाइन के मुताबिक, कोरोना के अस्पताल में भर्ती मरीजों को लक्षणविहीन होने और फालोअप जांच में निगेटिव होने के बाद होम आइसोलेशन के लिए भेजा जाएगा। होम आइसोलेशन में रहने के सात दिन बाद उन्हें पोर्टल पर डिस्चार्ज अंकित किया जाएगा।
अभी तक मरीजों को भर्ती होने से न्यूनतम सात दिन या जांच की तिथि से न्यूनतम 10 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था लेकिन इस समय चिकित्सालय में बेड की कमी होने के कारण डिस्चार्ज पॉलिसी में संशोधन किया गया है।
होम आइसोलेशन की अनुमति दिए वाले रोगियों की प्रविष्टि जिला सर्विलांस अधिकारी अधिष्ठान द्वारा upcovid19tracks.in पोर्टल पर की जाएगी। ऐसे व्यक्तियों को ही होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाएगी जिनके घर में अलग से कमरा और शौचालय हो। घर के कई लोग कोरोना संक्रमित हों तो वे एक कमरे में रह सकते हैं। लेकिन, घर में आइसोलेशन की सुविधा न हो तो एल-1 अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है। ऐसे मरीजों को जांच के पॉजीटिव आने से दसवें दिन या भर्ती होने से सातवें दिन बिना किसी जांच के डिस्चार्ज किया जाएगा। घर में रहने वाले मरीजों को 10 दिन की अवधि में रिकवर्ड अंकित किया जाएगा लेकिन उनको अगले सात दिनों तक होम आइसोलेशन में रहना होगा। इंटीग्रेटेड कोविड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर द्वारा ऐसे मरीजों का 10 दिन तक रोजाना फोन कर हाल लिया जाएगा। 100 से ज्यादा केस वाले जिलों में तीसरे और सातवें दिन रैपिड रिस्पांस टीम गृह भ्रमण करेगी, 100-200 नए केसों वाले जिलों में तीसरे दिन गृह भ्रमण जबकि 200 से ज्यादा केस वाले जिलों में रोज फोन से जानकारी ली जाएगी।
गले में खराश , बुखार, दर्द आदि के लक्षण वाले मरीज होम आइसोलेशन के पात्र होंगे। यदि 10 दिन तक गंभीर लक्षण नहीं हुए तो उनको ठीक माना जाएगा।अस्पताल में भर्ती मरीजों के लक्षणमुक्त होने की स्थिति में जांच के दसवें दिन बिना जांच के डिस्चार्ज किया जाएगा।
मध्यम तीव्रता वाले मरीज यानी जिन्हें खांसी, बुखार, सांस लेने में परेशानी, नेजल फ्लेयरिंग, पसली चलना, तेज श्वास दर आदि है,
एल-2 या एल-3 में भर्ती किए जाएंगे। ऑक्सीजन की जरूरत न होने व लक्षणविहीन या हल्के लक्षण होने पर फॉलोअप जांच निगेटिव आने पर उन्हें होम आइसोलेशन के लिए भेजा जा सकेगा। होम आइसोलेशन के सात दिन बाद मरीज ठीक माना जाएगा।
कैंसर या एचआइवी रोगी, आर्गन ट्रांसप्लांट के रोगी या फिर ऑक्सीजन देने के बाद ठीक न हो पाने वाले रोगी इस श्रेणी में आएंगे। ऐसे मरीजों को एल-2 या एल-3 के आईसीयू में रखा जाएगा। हालत में सुधार होने के बाद ऑक्सीजन युक्त वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा। पूरी तरह लक्षणविहीन या हल्के लक्षण होने और जांच में निगेटिव आने पर होम आइसोलेशन के लिए भेजा जाएगा। अगले सात दिन के बाद पोर्टल पर इन्हें रिकवर्ड माना जाएगा।
-डिस्जार्च होने से पहले ये सुनिश्चित किया जाएगा कि रोगियों का ऑक्सीजन सैचुरेशन बिना किसी सपोर्ट के 94 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए।
-पहली रिपोर्ट पॉजिटिव आने से 17 दिनों तक घर के भीतर आइसोलेशन में रहना होगा
-डिस्चार्ज करते समय मरीज के कपड़े, मोबाइल, जूते-चप्पल व अन्य सामग्री को सैनिटाइज किया जाएगा
– डिस्चार्ज के 14 दिन बाद यदि दोबारा लक्षण आते हैं तो व्यक्ति को नए रोगी के रूप में पंजीकृत किया जाएगा
– होम आइसोलेशन के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाए जाएंगे
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