लखनऊ। कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग में फ्रंटलाइन वारियर्स के तौर पर शहीद हुए उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मियों के परिवार के सदस्यों को मृतक आश्रित कोटे से जल्‍द नौकरी दी जाएगी। इस सम्‍बंध में प्रक्रिया चल रही है। ऐसे पुलिसकर्मियों को परिवारीजनों को शासन की ओर से स्वीकृत आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस सम्‍बंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है।

प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि कोरोना काल में 50 की उम्र पार कर चुके पुलिसकर्मियों को फ्रंटलाइन ड्यूटी से हटाया जा रहा है। इनमें वे पुलिसकर्मी शामिल हैं जिन्‍हें मधुमेह, दिल, फेफड़ों या लिवर से संबंधित बीमारियां हैं। पुलिस बल में कमी को पूरा करने के लिए 134 कंपनी पीएसी तैनात की गई है। इसके अलावा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जो पुलिसकर्मी हाल में पॉजिटिव से कोरोना निगेटिव हुए हैं उन्‍हें सख्‍त ड्यूटी न दी जाए। 50 प्‍लस और हाल में कोरोना निगेटिव हुए पुलिसकर्मियों को कोविड हॉस्पिटल या कंटेनमेंट जोन के पास ड्यूटी पर तैनात नहीं किया जाएगा। 

अब तक 162 पुलिसकर्मी शहीद

कोरोना काल में अब तक 162 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि मार्च 2020 से मई 2021 तक कुल 21455 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव हुए। इनमें से 19313 ठीक हो चुके हैं। इस समय 1979 पुलिसवाले कोरोना पॉजिटिव हैं। 9246 पुलिसकर्मियों को क्‍वारंटाइन किया गया है। प्रदेश के सभी जिलों की पुलिस लाइन में कोविड केयर सेंटर चलाए जा रहे हैं। पुलिस कार्यालयों में भी कोविड केयर सेंटर की स्थापना की गई है। 

एडीजी लॉ एंड आर्डर ने कहा कि कोरोना काल में उत्तर प्रदेश पुलिस ने बखूबी अपनी जिम्‍मेदारी निभाई है। कोरोना के दौरान में कानून-व्‍यवस्‍था कायम रखने के साथ ही पंचायत चुनाव की जिम्‍मेदारी भी निभाई। इसके अलावा कंटेनमेंट जोन और कोविड अस्‍पतालों के आसपास भी ड्यूटी दी। कंटेनमेंट जोनों में 32706 पुलिसकर्मी तैनात हैं।

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