लखनऊ/मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वर्ष 2013 में हुए मुजफ्परनगर दंगे के आरोपी 40 लोगों पर से मुकदमे वापस ले लिये हैं। इनमें योगी सरकार में मंत्री सुरेश राणा, भाजपा विधायक संगीत सोम, भाजपा नेता भारतेंदु सिंह और साध्वी प्राची शामिल हैं। इन लोगों पर आरोप था कि इन्होंने मुज़फ्फरनगर के नंगला मंदौड़ इलाके में एक सभा कर दूसरे धर्म के लोगों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए जिससे दंगा भड़का। गौरतलब है कि इस दंगे में 60 लोग मारे गए थे जबकि करीब 50 हजार लोग बेघर हो गए थे।

मुज़फ्फरनगर दंगों में मुकदमा वापस होने का यह पहला मामला है। इससे पहले संगीत सोम के खिलाफ मुज़फ्फरनगर दंगों से जुड़े एक मामले में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाकर केश खत्म कर दिया था।

मुज़फ्फरनगर ज़िले में दंगों की वजह बनी थी कवाल कस्बे में दो लोगों की हत्या। दरअसल, 27 अगस्त 2013 को कवाल में सचिन और गौरव नाम के दो लड़कों ने शाहनवाज़ नाम के एक नौजवान की हत्या कर दी थी। शाहनवाज़ की हत्या से नाराज़ भीड़ ने सचिन और गौरव को पीट-पीट कर मार डाला था। इसके बाद इलाके में साम्प्रदायिक तनाव फैल गया था। इसके दो दिन बाद 30 अगस्त को जुमे के दिन एक मस्जिद से निकले नमाज़ियों के बीच बसपा और कांग्रेस के नेताओं ने भाषण दिए थे। अगले दिन 31 अगस्त को उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद इस मुद्दे पर पंचायतों का सिलसिला शुरू हो गया था।

दंगों से पहले सबसे बड़ी पंचायत घटनास्थल ककल से थोड़ी ही दूर नांगल मंदौड़ में हुई थी। आरोप है कि इस पंचायत में संगीत सोम, सुरेश राणा, भारतेंदु सिंह और साध्वी प्राची समेत 40 लोगों पर भड़काऊ भाषण दे कर साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ा। इसके लिए इन सभी पर मुक़दमा दर्ज हुआ था। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने ट्रायल कोर्ट में अर्जी दे कर इस मुक़दमे को खत्म करने की अप्ल की थी।

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