आज योग को पूरे विश्व में ख्याति मिल गई है, लेकिन मुस्लिम, ईसाई और यहूदी योग को लेकर अब भी सशंकित है । मुस्लिम समुदाय में अभी भी एक बड़े तबके को लगता है योग और योगासन एक धर्म विशेष से जुड़ा है, लिहाजा योगभाय्स से उसका धर्म भ्रष्ट हो सकता है । कई बार इसको लेकर फतवा भी जारी हो चुका है । लेकिन समय के साथ ये सोच बदल रही है । योग को धर्म से जोड़कर देखने वालों के लिए मिसाल हैं हमीरपुर जिले के मौदहा निवासी शफी मोहम्मद । 70 साल के शफी मोहम्मद पिछले 16 साल से योग कर रहे हैं । उनका मानना है कि योग एक चमत्कार है और यह सभी समुदायों के लिए हैं । इस पर किसी धर्म विशेष का अधिकार नहीं है ।
पांचवें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर शुक्रवार को राजभवन में शफी मोहम्मद भी योग करने पहुंचे थे।शफी मोहम्मद ने योग को लेकर मुस्लिम समुदाय की आशंकाओं को खारिज किया। उन्होंने कहा, “योग एक चमत्कार है । मैं 16 साल से योग कर रहा हूं ।लेकिन कौम के कुछ लोग योग को लेकर दुष्प्रचार करते हैं । हर मुस्लिम को योग करना चाहिए ।”
योग की वजह से रख सकता हूं दो महीने रोजा
पेशे से अधिवक्ता शफी मोहम्मद कहते हैं कि जब उन्होंने योग करना शुरू किया तो कौम के लोगों ने इसका विरोध किया । उनसे कहा गया कि यह इस्लाम के खिलाफ है । लेकिन वह उन्हें योग करने से वह शक्ति मिली की आज वे दो महीने तक रोजा रख सकते हैं । योग में गजब की शक्ति है. आज मैं मुस्लिम बच्चों को भी योग सिखा रहा हूं ।
योग पर संदेह
दुनिया भर में कई मुस्लिम, ईसाई और यहूदी योग को लेकर संदेह ज़ाहिर करते रहे हैं। ब्रिटेन में 2012 में एक चर्च ने योग क्लास पर ही प्रतिबंध लगा दिया था । दरअसल उनका मानना है कि योग हिंदू और बौद्ध धर्म से जुड़ा है । योग के आसन सूर्यनमस्कार को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं । मुस्लिमों का मानना है कि सूर्य नमस्कार हिन्दुओं के लिए है । यह हिन्दुओं के देवता सूर्य की आराधना से जुड़ा है, जबकि वास्तव में सूर्य नमस्कार शारीरिक क्रियाओं से संबंधित एक यौगिक आसन है ।