काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा क्या हुआ, मानो हर ओर अराजकता ही अराजकता है। तालिबान के आतंकवादी 30-40 साल पुरानी बंदूकें लिये काबुल, गजनी से लेकर देश के तमाम बड़े शहरों में “पगलाए’ हुए से घूम रहे हैं। बहुत कम उम्र में बंदूक थाम कर आतंक की राह पर निकल पड़े इन नौजवानों में से ज्यादातर पहली बार शहर देख रहे हैं। काबुल की चकाचौंध देख उनकी आंखें फटी-सी जा रही हैं। कोई बच्चों के झूले पर बैठा नजर आ रहा है तो ट्रेंपोलिंग पर उछलते दिखाई दे रहा है। तमाम युवा तालीबानी दुकानों में सामान को उलट-पुलट कर देख रह हैं।
आफगानिस्तान से बाहर आ रहे फोटो और वीडियो फुटेज में युवा तालिबानियों की इन हरकतों को देख जा सकता है। राष्ट्रपति निवास के कीमती फर्नीचर पर पांव ऊपर कर बैठे इन आतंकियों को पूरी दुनिया ने देखा है। डाइनिंग टेबल के ऊपर बैठकर और उसके चारों और खड़े होकर आइसक्रीम का स्वाद लेते हुए भी इन आतंकियों को देख जा सकता है। ये फुटेज उनकी इस मानसिकता को भी बता रही हैं कि ये सबकुछ उनके लिए कितना नया है। यदि कहा जाए कि ये उनके लिए किसी सपने को जीने जैसी बात है, तो गलत नहीं होगा।
तालिबान के आतंकियों में काफी संख्या में नई उम्र के युवा भी शामिल हैं। इनमें से एक का नाम एजानुल्लाह है। वह उन हजारों आतंकियों की तरह है जिन्होंने इस माहौल को या यूं कहें कि इस विलासिता भरी शैली को कभी नहीं देखा है। तेज गर्मी में कंधे पर एके 47 लटकाए और राकेट लान्चर लटकाए पैदल ही पहाड़ी और पथरीली जमीन पर कई किमी का सफर करना, उसकी जीवन शैली का हिस्सा रहा है। वहीं रहने की बात करें तो कभी टैंट के नीचे तो कभी कच्चे घरों में या कभी पहाड़ों में बनी गुफाओं में अपनी रिहाइश बनाना भी इनके जीवन का हिस्सा रहा है। सेंट्रलाइज एयर कंडीशन वाली इमारतों या शीशे वाली इमारतों में कदम रखना इनके लिए कोई सपना ही है।
ऐसी ही एक इमारत में जब 22 साल का एजानुल्लाह घुसा तो वहां की चकाचौंध देखकर वह पागल-सा हो गया। इस तरह की विलासिता को न तो उसने कभी देखा था और न ही कभी सोचा ही था। एजानुल्लाह ने समाचार एजेंसी को बताया कि उसके लिए ये सपनों की दुनिया जैसा ही था जिसको छोड़कर वह जाने की सोच भी नहीं सकता था। लेकिन वह बिना अपने आका के आदेश के यहां पर रुक भी नहीं सकता था। इसलिए उसने अपने कमांडर से यह पूछने का फैसला किया कि क्या वह यहां पर रुक सकता है।
एजानुल्लाह केवल यहां की खूबसूरत इमारतों को देखकर ही पागल नहीं हुआ बल्कि जब दो महिलाओं ने उसको हैलो कहा, तो वह उन्हें देखकर हैरान खड़ा रह गया। उन महिलाओं ने एजानुल्लाह को कहा कि उसे देखकर उन्हें डर लग रहा है। इसके जवाब में एजानुल्लाह ने उन्हें आश्वस्त किया और कहा कि वह उनके भाई की तरह है। उसने ये भी बताया कि उनके राज में वे स्कूल जा सकेंगी और वे उनकी पूरी सुरक्षा करेंगे। हालांकि उसने इन महिलाओं को हिजाब के लिए भी आगाह किया। उसने कहा कि ध्यान रहे कि हिजाब के जरिए चेहरा और सिर पूरी तरह से ढका हुआ होना चाहिए।
1996-2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत रही थी। सत्ता खोने के बाद तालिबान का मूल ठिकाना अफगानिस्तान की पहाडि़यां ही रही हैं। बीते दो दशक में काबुल ही नहीं अफगानिस्तान में भी कई बड़े बदलाव हुए हैं। तालिबान आतंकियों में हजारों की संख्या में ऐसे लड़ाके हैं जो एजानुल्लाह की ही उम्र के हैं। इन सभी के लिए काबुल का नजारा उनकी आंखों को खोलने वाला रहा है। इन आतंकियों ने पहली बार काबुल पर कब्जा किया है।
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