बरेली@BareillyLive. शारदीय नवरात्र कल गुरुवार से प्रारम्भ हो रहे हैं। नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन और विदाई एक विशेष वाहन में होती है, जो आगामी छह माह के बारे में संकेत देती है। इस बार मां दुर्गा का आगमन पालकी में और प्रस्थान मुर्गे पर होगा। ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा बता रहे हैं इस आगमन और प्रस्थान के संकेत तथा नवरात्र में कलश स्थापना एवं पूजा के शुभ मुहूर्त।

ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा बताते हैं कि ज्योतिष में मां दुर्गा के आगमन और विदाई के वाहन से देश-दुनिया, प्रकृति, फसल और मानव जीवन में पड़ने वाले अच्छे-बुरे प्रभाव का अनुमान लगाया जाता है। इसलिए नवरात्रि में मां दुर्गा की सवारी को महत्वपूर्ण माना जाता है।

पालकी पर आ रही हैं माता रानी
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन से होगी, ऐसे में माता रानी के आगमन का वाहन पालकी रहेगा। प्रस्थान चरणायुध (बड़े पंजे वाले मुर्गे) पर होगा।

मां दुर्गा का पालकी पर आना शुभ या अशुभ?

ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार, नवरात्रि में मां दुर्गा जब धरती पर डोली या पालकी में आती हैं तो इसे बहुत अच्छा संकेत नहीं माना जाता है। दरअसल माता रानी का पालकी में आना चिंता का विषय बन सकता है। इससे अर्थव्यवस्था में गिरावट, व्यापार में मंदी, हिंसा, देश-दुनिया में महामारी के बढ़ने और अप्राकृतिक घटना के संकेत मिलते हैं।

शशि सूर्य गजरुढ़ा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥

(श्री देवीभाग्वत पुराण) के इस श्लोक के अनुसार- सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। इसके अनुसार, नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार से हो तो मां हाथी पर आती हैं। शनिवार और मंगलवार से हो तो मां अश्व यानी घोड़े पर आती हैं, गुरुवार और शुक्रवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होने पर माता रानी डोली या पालकी पर आती हैं। वहीं बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होने पर मां दुर्गा का वाहन नाव होता है।

नवरात्रि कब से

इस वर्ष नवरात्रि का का आरंभ 03 अक्तूबर 2024 दिन गुरुवार को होगा। इस वर्ष नवरात्रि में चतुर्थी तिथि की वृद्धि हुई है, और नवमी तिथि का क्षय हो गया है, इसलिए अष्टमी तथा नवमी तिथि 11 अक्टूबर को मनायी जायेगी।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

03 अक्तूबर 2024 दिन गुरूवार प्रातः 06ः13 से दोपहर 03ः17 तक कलश स्थापित किया जायेगा।

प्रतिपदा तिथि का आरम्भ
02 अक्तूबर 2024 दिन बुधवार रात्रि 11ः05 से

प्रतिपदा तिथि की समाप्ति
03 अक्टूबर 2024 रात्रि 03ः01 मिनट तक

हस्त नक्षत्र 03 अक्तूबर 2024.
दोपहर 03ः17 मिनट तक रहेगा।

अभिजित मुहूर्त
सुबह 11ः38 से 12ः25 दोपहर तक

अमृत काल
सुबह 08ः45 से 10ः33 सुबह तक

दुर्गा पूजा में कैसे करें कलश स्थापना ?

व्रत करने वाले सुबह में नित्य क्रिया से निर्वित होकर साफ कपड़ा पहनें, संभवतः नया वस्त्र लाल रंग का धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल छिड़कें गंगा जी का थोड़ा मिटटी लाएंया साफ जगह से मिटटी को लेकर उसमे जौ या सप्तधान्य को मिलाएं। मिटटी का कलश रखें उस पर स्वस्तिक बनाएं। लाल कपड़े से कलश को लपेट दें। उसमें आम का पत्ता सुपारी, फूल, पैसा, दूर्वा और अक्षत डालें। इसके बाद नारियल में मौली लपेटकर कलश पर रखें। सामने छोटी चौकी रखें उस पर लाल कपड़ा का आसन बिछाएं। माता की प्रतिमा या फोटो रखें। उनको फूल-फल, सिंदूर, चन्दन लगाएं। धूपबत्ती दिखाएं तथा भोग लगायें, फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

By vandna

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