New Delhi: Congress interim President Sonia Gandhi during a meeting of party general secretaries, state in-charges, state unit chiefs and others at party Headquarters in New Delhi on Sep 12, 2019. (Photo: IANS)

नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लॉकडाउन से बाहर आने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के पास कोई रणनीति नहीं होने का दावा करते हुए शुक्रवार को कहा कि संकट के इस समय में भी सारी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक सीमित हैं। प्रमुख विपक्षी दलों की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार में संघवाद की भावना को भुला दिया गया है और विपक्ष की मांगों को अनसुना कर दिया गया। यह सरकार कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में हर मोर्चे पर फेल हो गई है।

सोनिया ने कहा, “कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध को 21 दिनों में जीतने की प्रधानमंत्री की शुरुआती आशा सही साबित नहीं हुई। ऐसा लगता है कि वायरस दवा बनने तक मौजूद रहने वाला है। मेरा मानना है कि सरकार लॉकडाउन के मापदंडों को लेकर निश्चित नहीं थी । उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति भी नहीं है।”

 कांग्रेस नेता ने कहा, “भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आने से पहले ही देश की अर्थव्यवस्था संकट में थी। नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी इसके प्रमुख कारण थे। आर्थिक गिरावट 2017-18 से शुरू हुई। सात तिमाही तक अर्थव्यवस्था का लगातार गिरना सामान्य नहीं था फिर भी सरकार गलत नीतियों के साथ आगे बढ़ती रही।” 

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष ने कहा, “जैसा कि हम जानते हैं कि 11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया। पूरे विपक्ष ने सरकार को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। यहां तक कि जब 24 मार्च को केवल चार घंटे के नोटिस में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया, तब भी हमने इस फैसले का समर्थन किया।” 

विपक्ष की गुहार को अनसुना कर दिया गयाः सोनिया

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा करने और फिर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पांच दिनों तक इसका ब्यौरा रखे जाने के बाद यह एक क्रूर मजाक साबित हुआ। सोनिया के मुताबिक, “हममें से कई समान विचारधारा वाली पार्टियां मांग कर चुकी हैं कि गरीबों के खातों में पैसे डाले जाएं, सभी परिवारों को मुफ्त राशन दिया जाए और घर जाने वाले प्रवासी श्रमिकों को बस एवं ट्रेन की सुविधा दी जाए। हमने यह मांग भी की थी कि कर्मचारियों एवं नियोजकों की सुरक्षा के लिए ‘वेतन सहायता कोष’ बनाया जाए। हमारी गुहार को अनसुना कर दिया गया।”

उन्होंने कहा, “कई जानेमाने अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि 2020-21 में हमारे देश की विकास दर -5 प्रतिशत हो सकती है। इसके नतीजे भयावह होंगे।”

सोनिया ने कहा, “मौजूदा सरकार के पास कोई समाधान नहीं होना चिंता की बात है, लेकिन उसके पास गरीबों एवं कमजोर वर्ग के लोगों के प्रति करुणा का नहीं होना हृदयविदारक बात है।”

“सारी शक्तियां पीएमओ तक सीमित”

उन्होंने आरोप लगाया, “सरकार ने खुद के लोकतांत्रिक होने का दिखावा करना भी छोड़ दिया है। सारी शक्तियां पीएमओ तक सीमित हो गई हैं। संघवाद की भावना जो हमारे संविधान का अभिन्न भाग है, उसे भूला दिया गया है। इसका कोई संकेत नहीं है कि संसद के दोनों सदनों या स्थायी समितियों की बैठक कब बुलाई जाएगी।” सोनिया ने विपक्षी दलों के नेताओं से कहा, “रचनात्मक आलोचना करना, सुझाव देना, और लोगों की आवाज बनना हमारा कर्तव्य है। इसी भावना के साथ हम बैठक कर रहे हैं।”

अम्फान को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मां


बैठक में सभी विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में चक्रवात अम्फान की वजह से हुई तबाही पर शोक व्यक्त किया और मृतकों की आत्मा की शांति के लिए मौन रखा। बैठक में कहा गया कि देश  पहले से ही कोविड-19 से जंग लड़ा रहा है ऐसे में अम्फान जैसी प्राकृतिक आपदा ने हम पर दोहरा हमला किया है। इन राज्यों के लोगों को तत्काल सहायता की आवश्यकता है। 

विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से इसे तुरंत राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की और जरूरी मदद मुहैया कराने की मांग की। दलों ने कहा कि ऐसे समय में जब प्रभावित राज्य दो संकटों से जूझ रहे हैं, राहत और लोगों का पुनर्वासन प्राथमिकता होना चाहिए। ऐसे में विपक्षी दल केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि हमारे देशवासियों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराई जाए।

उद्धव ठाकरे समेत 22 विपक्षी दलों के नेताओं ने लिया हिस्सा 

इस बैठक में देश के 22 विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट में बताया कि बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सीताराम येचुरी, द्रमुक नेता एमके स्तालिन, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेकां के उमर अब्दुल्ला आदि विपक्षी नेता शामिल हुए।

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