बरेली। दरगाह आला हजरत बरेलवी मरकज से जुड़े संगठन जमात रजा मुस्तफा के अध्यक्ष मौलाना असजद रखा खां कादरी (अजसद मियां) ने फरमान जारी कर प्रदेश की योगी सरकार के आदेश के बहिष्कार का ऐलान किया है। फरमान में कहा गया है कि बरेलवी मसलक के मदरसों में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रगान नहीं होगा न ही कार्यक्रम की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी होगी। मदरसों में जश्न-ए-आजादी के मौके पर तिरंगा फहराने के बाद सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा गाया जाएगा। दरगाह से दुनिया भर में बने मसलक के सभी मदरसों के लिए राष्ट्रगान न गाने का फरमान जारी हुआ है।
जमात रजा मुस्तफा के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि योगी सरकार के फैसले पर शहजादे ताजुशरिया व जमात रजा मुस्तफा के अध्यक्ष मौलाना असजद रखा खां कादरी (अजसद मियां) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, मदरसों के प्रबंधक, संचालक 15 अगस्त को शान से तिरंगा फहराएं। ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा तराना गाएं। हमेशा की तरह मिठाई बांटकर जश्न मनाएं। जंग-ए-आजादी में जिन लोगों ने कुर्बानियां दी उनको याद करें।
हिंदुस्तान में अंग्रेज आए और अपनी मक्कारी से यहां के हुक्मरां बन गए। सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ अल्लामा फज्ले हक खैराबादी ने दिल्ली की जामा मस्जिद से जिहाद के लिए फतवा दिया। पूरे मुल्क के हिंदू-मुसलमान तन, मन और धन से अंग्रेजों के खिलाफ सरफरोशी का जज्बा लिए मैदान में कूद पड़े।
मुफ्ती किफायत उल्ला कैफी, मुफ्ती इनायत अहमद कंकरालवी, रुहेला पठान हाफिज रहमत खां, मौलाना रजा अली खां, टीपू सुल्तान जैसे सैकड़ों मुसलमान ने मुल्क के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी। आज वो लोग मुसलमानों को शक की निगाह से देख रहे हैं जिनके कार्यालयों पर कभी तिरंगा नहीं फहराया गया। जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में अंग्रेजों का साथ दिया।
उन्होंने कहा है कि हिन्दुस्तान एक जम्हूरी मुल्क है। यहां पर हर मजहब और मिल्लत के लोगों को अपने मजहबी पहचान के साथ जीने का हक है। मुसलमान हर वह काम करें जिसकी शरीयत उसको इजाजत दे और जिसे मना करे उनसे परहेज करें। मुसलमान मदरसों में राष्ट्रगान न पढ़ें। जमात रजा-ए-मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन कादरी ने कहा कि हुकूमत का मदरसों को ऐसा आदेश देना एक साजिश है। इसलिए मदरसों को राष्ट्रगान से परहेज करने को कहा गया है।