शारदीय नवरात्र 2020 : नवरात्र में हर रोज मां दुर्गा के विभिन्न रूपों का पूजन करके माता को विशेष प्रसाद से प्रसन्न किया जाता है। नवरात्र में हर दिन का प्रसाद/भोग एवं रंग निश्चित है जो माँ को अत्यंत प्रिय होता हैं मान्यता है कि नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग तय होता है इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तो वही मां को उनका मनपंसद भोग लगाकर जरूरतमंदों में वितरित कर देने से मां का आशीर्वाद बना रहता है।पुराणों के अनुसार दिन के अनुसार भोग लगाने से मां तत्काल प्रसन्न होती है।
प्रतिपदा- मां शैलपुत्री-प्रिय रंग-पीला
पूजा घटस्थापना 17अक्टूबर 2020(शनिवार)
घटस्थापना मुहूर्त :06:23:22 से 10:11:54 तकअवधि :3 घंटे 48 मिनट
प्रथम नवरात्र में मां दुर्गा की शैलपुत्री के रूप में पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की पूजा करने से मूलाधार चक्र जागृत हो जाता है और साधकों को सभी प्रकार की सिद्धियां स्वत: ही प्राप्त हो जाती हैं। मां का वाहन वृषभ है तथा इन्हें गाय का घी अथवा उससे बने पदार्थों का भोग लगाया जाता है।प्रथम नवरात्रि के दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है तथा शरीर निरोगी रहता है।
द्वितीया- मां ब्रह्मचारिणी-प्रिय रंग-हरा
पूजा18अक्टूबर 2020(रविवार)
दूसरे नवरात्र में मां के ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता है। जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं। मां को शक्कर का भोग प्रिय है। मां को शक्कर का भोग लगाएं व घर में सभी सदस्यों को दें। इससे आयु वृद्धि होती है।
तृतीया- मां चंद्रघंटा-प्रिय रंग- भूरा
पूजा19अक्टूबर 2020(सोमवार)
मां के इस रूप में मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चन्द्र बना होने के कारण इनका नाम चन्द्रघंटा पड़ा तथा तीसरे नवरात्र में मां के इसी रूप की पूजा की जाती है तथा मां की कृपा से साधक को संसार के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। शेर पर सवारी करने वाली माता को दूध का भोग प्रिय है।तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई खीर का भोग मां को लगाकर ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों की मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है।
चतुर्थी-मां कूष्माण्डा -प्रिय रंग- नारंगी
पूजा20अक्टूबर 2020(मंगलवार)
कूष्माण्डा माता की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन होती है। कूष्माण्डा संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ- कू मतलब छोटा/सूक्ष्म, ऊष्मा मतलब ऊर्जा और अण्डा मतलब अण्डा है। देवी के कूष्माण्डा रूप की पूजा से भक्तों को धन-वैभव और सुख-शांति मिलती है।मां की कृपा से साधक को संसार के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। मां दुर्गा को चौथी नवरात्रि के दिन मालपुए का भोग लगाएं। और मंदिर के ब्राह्मण को दान दें। जिससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।
पंचमी -मां स्कंदमाता-प्रिय रंग- सफेद
पूजा21अक्टूबर 2020(बुधवार)
पंचम नवरात्र में आदिशक्ति मां दुर्गा की स्कंदमाता के रूप में पूजा होती है। कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। इनकी पूजा करने वाले साधक संसार के सभी सुखों को भोगते हुए अंत में मोक्ष पद को प्राप्त होते हैं। उनके जीवन में किसी भी प्रकार की वस्तु का कोई अभाव कभी नहीं रहता। इन्हें पद्मासनादेवी भी कहते हैं। मां का वाहन सिंह है और इन्हें केले का भोग अति प्रिय है।नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवैद्य चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है।
षष्टी- मां कात्यायनी-प्रिय रंग-लाल
पूजा22अक्टूबर 2020(गुरुवार)
महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति मां दुर्गा ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और उनका कात्यायनी नाम पड़ा। छठे नवरात्र में मां के इसी रूप की पूजा की जाती है। मां की कृपा से साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष आदि चारों फलों की जहां प्राप्ति होती है वहीं वह आलौकिक तेज से अलंकृत होकर हर प्रकार के भय, शोक एवं संतापों से मुक्त होकर खुशहाल जीवन व्यतीत करता है। मां को शहद अति प्रिय है।छठवीं नवरात्रि के दिन मां को शहद का भोग लगाएं। इससे आकर्षण में प्रबल वृद्धि होगी।
सप्तमी- मां कालरात्रि -प्रिय रंग- नीला
पूजा23अक्टूबर 2020(शुक्रवार)
सभी राक्षसों के लिए कालरूप बनकर आई मां दुर्गा के इस रूप की पूजा सातवें नवरात्र में की जाती है। मां के स्मरण मात्र से ही सभी प्रकार के भूत, पिशाच एवं भय समाप्त हो जाते हैं। मां की कृपा से भानूचक्र जागृत होता है मां को गुड़ का भोग अति प्रिय है।सातवें नवरात्रि पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।
अष्टमी- मां महागौरी-प्रिय रंग- गुलाबी
पूजादुर्गा महा अष्टमी पूजा24अक्टूबर 2020(शनिवार)
आदिशक्ति मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा आठवें नवरात्र में की जाती है। मां ने काली रूप में आने के पश्चात घोर तपस्या की और पुन: गौर वर्ण पाया और महागौरी कहलाई। मां का वाहन बैल है तथा मां को हलवे का भोग लगाया जाता है तभी अष्टमी को पूजन करके मां को हलवे पूरी का भोग लगाया जाता है। मां की कृपा से साधक के सभी कष्ट मिट जाते हैं और उसे आर्थिक लाभ भी मिलता है। साथ ही नवरात्रि के आठवें दिन माता रानी को नारियल का भोग लगाएं व नारियल का दान कर दें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
नवमी- मां सिद्धिदात्री-प्रिय रंग- बैंगनी
नवमी-माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा विजय दशमी 25 अक्टूबर 2020(रविवार)
नौवें नवरात्र में मां के इस रूप की पूजा एवं आराधना की जाती है, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है मां का यह रूप साधक को सभी प्रकार की ऋद्धियां एवं सिद्धियां प्रदान करने वाला है। जिस पर मां की कृपा हो जाती है उसके लिए जीवन में कुछ भी पाना असंभव नहीं रहता। मां को खीर अति प्रिय है अत: मां को खीर का भोग लगाना चाहिए।साथ ही नवरात्रि की नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी। साथ ही अनहोनी घटनाओं से बचाव भी होगा।