तेल अवीव। पुरातत्वविद् इसे “अनमोल खजाना” बता रहे हैं पर यह मानव विकास के इतिहास को उलटने-पलटने वाला साबित हो सकता है जो अब तक उपलब्ध तमाम तथ्यों और धारणाओं और उलट-पुलट सकता है। दरअसल, इजरायल के पुरातत्वविदों को 6500 साल पुरानी दुनिया की “पहली भट्ठी” के साक्ष्य मिले हैं। उनका दावा है कि इस भट्ठी में इस्तेमाल की गई तकनीक इतनी परिष्कृत थी जितना कि प्राचीन काल में पूरी दुनिया में और कहीं नहीं थी।
यह भट्ठी इजरालय के नेगेव रेगिस्तान के दक्षिण में स्थित बीर शेवा में तीन साल तक चले उत्खनन के बाद मिली है। माना जा रहा है कि इस भट्ठी में तांबे को गलाया जाता था। तेल अवीव यूनिवर्सिटी और इजरायल के पुरातत्व विभाग के शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस स्थान पर दुनिया की पहली भट्ठी का इस्तेमाल किया जाता था।
ताम्र पाषाणकालीन कालीन उपकरण उत्पादन स्थल
इजरायल की एक अधिकारी तलिया अबूलफिया ने कहा, “खुदाई से मिले सुबूतों से खुलासा हुआ है कि यह ताम्र पाषाणकालीन (6500 साल पहले) उत्पादन स्थल था। आश्चर्यजनक खोजों में एक छोटी वर्कशॉप मिली है जिसमें भट्ठी के अंदर तांबे को गलाए जाने के सुबूत मिले हैं। इसके अलावा बडे़ पैमाने पर तांबे की तलछट (कॉपर स्लैग) मिली है।” ताम्रपाषाणिक या कॉपर एज को चौथी से तीसरी शताब्दी ईसापूर्व के बीच माना जाता है।
ताम्रपाषाणिक काल में तांबे के उपकरणों के निर्माण के साक्ष्य मिले हैं लेकिन इसे अभी भी नियोलिथिक या स्टोन एज का माना जा रहा है। इस काल के दौरान बनाए गए ज्यादातर उपकरण पत्थर से बने हैं। तांबे के आइसोटोप के विश्लेषण से पता चला है कि उसे वादी फयनान जिसे आज जॉर्डन के नाम से जाना जाता है, से लाया गया था। यह इजरायली पुरास्थल से करीब 100 किलोमूटर दूर है।
इस पूरे शोध से यह चौंका देने वाला खुलासा यह हुआ है कि तांबे को जहां से निकाला जाता था, उसे वहां से 100 किलोमूटर दूर गलाकर उपकरण बनाए जाते थे। आमतौर पर भट्ठियों को खान के पास ही बनाया जाता था लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है। शोधकर्ताओं का कहना है कि तांबे को इतनी दूर गलाने का मकसद अपनी तकनीक को छिपाना हो सकता है।
तेलअवीव यूनिवर्सिटी के प्रफेसर बेन योसेफ ने कहा कि तांबे को निकालना उस समय एक अनमोल तकनीक थी। इस तरह की उन्नत तकनीक प्राचीन काल में पूरी दुनिया में कहीं नहीं थी। इससे यह भी संकेत मिलता है कि संभवत: भट्ठी का आविष्कार इसी इलाके में हुआ हो। यह भी संभव है कि इस इलाके में कुछ खास लोगों को ही धातुओं को पिघलाकर उपकरण बनाने की जानकारी हो। उन्होंने कहा कि इस इलाके ने दुनिया में धातु क्रांति (Metal revolution) लाने में बड़ी भूमिका निभाई होगी।