नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई और सीआईसीएसई से कहा है कि वे कक्षा 12 की रद्द की गई बोर्ड परीक्षा के बाद छात्र-छात्राओँ के मूल्यांकन के लिए घोषित “ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया” को दो सप्ताह में तैयार करें। न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने सीबीएसई और सीआईसीएसई की कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा को रद्द किए जाने की मांग को लेकर अधिवक्ता ममता शर्मा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए टाल दिया है।

खंडपीठ ने मामले के सुनवाई के दौरान सीबीएसई और सीआईसीएसई की कक्षा 12 की परीक्षा को कोविड-19 महामारी के चलते रद्द किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा, “हमें खुशी है कि आपने परीक्षाओं को रद्द किया। मूल्यांकन के लिए ‘ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया’ क्या है? क्राइटेरिया यहां नहीं बताया गया है।” इस पर केंद्र सरकार और सीबीएसई का पक्ष रख रहे एजीआई केके वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीएसई द्वारा तीन सप्ताह के भीतर निर्णय ले लिया जाएगा। सीआईएससीई के अधिवक्ता ने सूचित किया कि काउंसिल द्वारा ‘ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया’ बनाने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है।

सुनवाई के अंत में खंडपीठ ने मूल्यांकन के लिए क्राइटेरिया बनाने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।

इस मामले की पिछली सुनवाई 31 मई को हुई थी। पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और सीबीएसई की तरफ से एडवोकेट जनरल (एजी) ने खंडपीठ के समक्ष कहा था कि केंद्र सरकार को अपने अंतिम नतीजे पर पहुंचने के लिए 2 दिन का समय चाहिए। इसके बाद सुनवाई 3 जून तक के लिए टाल दी गई थी।

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