बरेली। “यदि ग़ालिब पुनर्जन्म लेकर दिल्ली में आ जाएं तो आज के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश में उनको कैसा महसूस होगा?“ यह विषय है उस नाटक का जिसका मंचन यहां के रिद्धिमा ऑडिटोरियम में होना है। नाटक का शीर्षक है- गालिब इन न्यू दिल्ली।

प्रख्यात नाट्य निर्देशक डॉ एम सईद आलम ने मंगलवार को मीडिया के साथ बातचीत में यह जानकारी दी। सईद आलम अब तक 40 नाटकों का निर्देशन कर चुके हैं जिनमें से 30 उनकी कलम से ही निकले हैं।  दिल्ली समेत पूरे देश में उनके नाटकों के दो हजार से ज्यादा शो हो चुके हैं। उनके जो नाटक मकबूल हुए हैं उनमें मौलाना आजाद, गालिब दिल्ली में, बड़े भाई साहब, लालकिले का आखरी मुशायरा आदि शामिल हैं। सईद आलम अकेले मिर्ज़ा ग़ालिब के जीवन और शायरी पर आधारित पांच नाटक लिख चुके हैं। ये हैं- गालिब, गालिब इन न्यू दिल्ली, गालिब के खुतूत, लालकिले का आखिरी मुशायरा और कोलकाता।

नाट्य निर्देशन में बड़ा नाम बन चुके सईद आलम बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। वह हॉकी के शानदार खिलाड़ी रहे हैं तो रोहतक विश्वविद्यालय में पढ़ा भी चुके हैं। सात साल पत्रकारिता भी की है। हालांकी 1994 से सिर्फ नाटक ही उनकी दुनिया है। अब वह “गालिब इन न्यू दिल्ली” लेकर बरेली पहुंचे हैं। यह नाटक एक सटायर है। साहित्यकार और रंगकर्मी डॉ राजेश शर्मा के साथ आज यहां प्रेस से मुखातिब हुए।

 
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