नई दिल्‍ली। किसान आंदोलन के नाम पर सड़कों की नाकेबंदी का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध के कारण सड़कों की नाकेबंदी का समाधान खोजने को कहा है। साथ ही किसानों की नसीहत दी कि उनके पास आंदोलन का अधिकार है लेकिन वे इसके लिए सड़कें बंद नहीं कर सकते। शीर्ष अदालत नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि नोएडा से दिल्ली के बीच सड़क को साफ-सुथरा किया जाए। गौरतलब है कि किसान आंदोलन के 9 महीने हो गए हैं।

याचिकाकर्ता मोनिका अग्रवाल का कहना है कि नोएडा से दिल्ली को जोड़ने वाली सड़कें किसान आंदोलन के चलते बंद हैं। इसके कारण आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन सड़कों को खोला जाना चाहिए। न्यायामूर्ति कौल और न्यायामूर्ति हरिकेश राय की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर अब तक सड़कें बंद क्यों हैं। साथ ही कहा- प्रदर्शन करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन सड़कें बंद नहीं होनी चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि नोएडा से दिल्ली का जो रास्ता महज 20 मिनट का ही था, अब उसमें 2 घंटे से ज्यादा का समय लग रहा है। यह संकट खत्म होना चाहिए। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों के मसले का समाधान किसी और तरीके से हो सकता है, लेकिन आम लोगों को इस तरह से परेशानी नहीं होनी चाहिए।

केंद्र सरकार और तीन राज्य सरकारों से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संबंधित तीन राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि वे समन्वय स्थापित करें और रोड ब्लॉक को खत्म कराने का प्रयास करें। न्यायामूर्ति कौल ने कहा कि समाधान केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों के हाथ में है। किसी भी कारण से सड़कों को बंद नहीं किया जाना चाहिए। इस मसले के समाधान के लिए केंद्र सरकार को समय दिया जाता है। वह इस मसले का समाधान करे और हमें रिपोर्ट सौंपे।

सड़कें नहीं बंद कर सकते

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मामले का समाधान तलाशने की सलाह दी तो वहीं किसान आंदोलन को लेकर भी नसीहत दी। कोर्ट ने कहा कि किसानों के पास आंदोलन का अधिकार है लेकिन वे इसके लिए सड़कें बंद नहीं कर सकते। वे कहीं और भी आंदोलन कर सकते हैं।

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