BareillyLive: युग प्रवर्तिका, आर्यिका शिरोमणि, विश्व प्रसिद्ध परम पूज्य 105 श्री ज्ञानमती माता जी आज बरेली में थी। बरेली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि भारत वर्ष का नाम जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर रखा गया है। साथ ही कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और उनके परिवार के आदर्श ही भारतीय संस्कृति के द्योतक है। शाश्वत तीर्थ क्षेत्र अयोध्या 5 तीर्थंकरों की जन्मभूमि भी है, उसका विकास, संवर्धन व संरक्षण, भविष्य हेतु संस्कृति का संरक्षण है।

माता ज्ञानमती जी हस्तिनापुर तीर्थ क्षेत्र से शाश्वत तीर्थ क्षेत्र अयोध्या के लिए महामंगल विहार पर निकली हुईं हैं। रास्ते में बरेली के जैन श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देने मंगलवार को बरेली के सिविल लाइन स्थित जैन मन्दिर में रुकी थीं।

अहिंसा परमो धर्मा: और शाकाहार भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि

अहिंसा परमो धर्मा: भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि में है और शाकाहार इसकी प्रमुख कड़ी है, हमें शाकाहार को समाज में प्रसारित व प्रचारित करते रहना है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि साधु मांग नहीं करते, वह मौन रहते हैं, किंतु कुतुबमीनार में जैन मूर्तियां मिल रही है, ऐसे में शासन को सोचना होगा। उन्होंने अपने हाल की पुस्तक ‘भरत से भारत’ भी सभी को आशीर्वाद के रूप में दी।

आयोजन के मीडिया प्रभारी सौरभ जैन ने कहा कि पूज्य माता जी के कार्य विश्व भर में जाने जाते हैं, वह चाहे हस्तिनापुर स्थित जम्बूदीप की रचना हो या गिनीज बुक में दर्ज विश्व की सबसे ऊंची 108 फीट की मांगीतुंगी, महाराष्ट्र में स्थापित भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा की स्थापना की प्रेरणा हो।

श्री महावीर निर्वाण समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार जैन ने कहा कि माताजी के तीर्थ विकास, संवर्धन व संरक्षण के क्रम में अब शाश्वत तीर्थ क्षेत्र अयोध्या की बारी है। सत्येंद्र जैन, सतीश चंद्र जैन ने कहा कि पूज्य माताजी की प्रेरणा से बने हस्तिनापुर स्थित जंबूदीप ज्ञान ज्योति का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने 1982 में किया था।

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