karwachauth2024: करवाचौथ जैसा पवित्र पर्व सिर्फ और सिर्फ सनातन धर्म में ही मिलता है जहां एक स्त्री अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन अन्न तथा जल का त्याग करती और सायं काल चन्द्रमा पूजन करके तथा अपने पति का दर्शन करके व्रत तोड़ती है करवा चौथ व्रत ज्यादातर महिलायें अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही पूजा करती हैं। हर क्षेत्र के अनुसार पूजा करने का विधान और कथा अलग-अलग होती है।
करवा चौथ व्रत विधि
- सूर्योदय से पहले स्नान कर के व्रत रखने का संकल्प लें और सास द्वारा भेजी गई सरगी खाएं। सरगी में, मिठाई, फल, सेवंई, पूड़ी और साज-श्रृंगार का समान दिया जाता है। सरगी प्याज-लहसुन रहित होनी चाहिये।
- सरगी करने के बाद करवा चौथ का निर्जल व्रत शुरु हो जाता है। माँ पार्वती, महादेव शिव व गणेश जी का ध्यान पूरे दिन अपने मन में करती रहें।
- दीवार पर गेरु से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इस चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता हैं, जो कि बड़ी पुरानी परम्परा है।
- आठ पूरियों की अठावरी बनायें। हलुआ बनायें। पक्के पकवान बनायें।
- फिर पीली मिट्टी से माँ गौरी और गणेश जी का स्वरूप बनाइये। माँ गौरी की गोद में गणेश जी का स्वरूप बिठाइये। इन स्वरूपों की पूजा संध्याकाल के समय पूजा करने के काम आती है।
- माता गौरी को लकड़ी के सिंहासन पर विराजें और उन्हें लाल रंग की चुनरी पहना कर अन्य सुहाग, श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। फिर उनके सामने जल से भरा कलश रखें।
- वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। गेहूँ और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवे पर स्वास्तिक बनायें।
- गौरी गणेश के स्वरूपों की पूजा करें। इस मंत्र का जाप करें –
‘नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’ - अब करवा चौथ की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिये। कथा सुनने के बाद आपको अपने घर के सभी वरिष्ठ लोगों का चरण स्पर्श कर लेना चाहिये।
- रात्रि के समय छननी के प्रयोग से चन्द्र दर्शन करें उसे अर्घ्य प्रदान करें। फिर पति के पैरों को छूते हुए उनका आर्शीवाद लें। फिर पति देव को प्रसाद दे कर भोजन करवाएँ और बाद में खुद भी करें।