आंवला (बरेली)। कोरोना वायरस की मार हर तबके पर पडी है। रामलीला भी इससे अछूती नहीं है। कोराना गाइडलाइन का पालन करते हुए मात्र परम्परा का पालन करने के लिए श्रीरामलीला का मंचन किया जा रहा है। रामलीला न तो पहले की तरह 21 दिनो तक हो पा रही है, न ही इस बार श्रीराम बारात और राजगद्दी की शोभायात्रा ही निकाली जाएगी। दशहरा पर लगने वाला तहसील क्षेत्र का ऐतिहासिक विशाल मेला भी नहीं लगेगा।
मेला न लगने से दुकानदारों और श्रीरामलीला के कलाकारों को काफी आर्थिक् नुकसान हो रहा है। इस बार आंवला नगर में लीला का मंचन करने आए श्री विष्णु आदर्श रामलीला मंडल के प्रबंधक रामनिवास साहू का कहना है कि कोराना का असर हम कलाकारों पर भी पडा है। पिछले वर्ष तक हम लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पहले ही रासलीला करने चले जाते थे और दशहरा से दीपावली के बीच रासलीला और श्रीरामलीला का मंचन करते थे। इस दौरान हमारे मंडल के प्रत्येक कलाकार के हिस्से में लगभग 80-90 हजार रुपये आ जाते थे। दीपावली के बाद मंडल के कलाकार अपने-अपने घरों को लौट जाते थे और खेती-किसानी, मेहनत मजदूरी आदि करते थे। लीला मंचन से होने वाली आय से साल भर घर का खर्चा चलता था। इस बार कोराना की मार सभी कलाकारों पर पडी है। सरकार की गाइडलाइन आने के बाद रामलीला का मंचन तो शुरू हुआ लेकिन पिछले सालों जैसी बात इस बार नहीं है। इस बार वे लोग आधे से भी कम दामों पर काम करने को मजबूर है। दर्शकों और श्रद्धालुओं द्वारा दिया जाने वाल इनाम-भेंट भी इस बार लगभग नहीं के बराबर है।
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