प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यक्ति के मौलिक अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। अदालत ने पिता की ओर से पुत्री प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के धर्म परिवर्तन कर सलामत अंसारी से विवाह करने के विरोध में अपहरण एवं पाक्सो एक्ट में दर्ज कराई गई एफआइआर को रद्द कर दिया है। अदालत ने यह फैसला कुशीनगर के सलामत अंसारी व तीन अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया। इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार लव जिहाद को रोकने के लिए कानून बनाने की कवायद में जुटी है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि संविधान सभी को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है। व्यक्तिगत संबंध में हस्तक्षेप दो बालिग व्यक्तियों के पसंद की स्वतंत्रता के मूल अधिकार का अतिक्रमण होगा। अदालत ने पिता की ओर से पुत्री प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के धर्म परिवर्तन कर सलामत अंसारी से शादी करने के विरोध में कुशीनगर के विष्णुपुरा थाने में दर्ज कराई दर्ज कराई प्राथमिकी को रद्द कर दिया। एफआईआर में उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाया गया है। इस एफआईआर के बाद में आरोपी के खिलाफ पोक्सो एक्ट लगाया गया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि कानून दो बालिग व्यक्तियों को एक साथ रहने की इजाजत देता है, चाहे वे समान या विपरीत लिंग के ही क्यों न हों। यहां तक कि राज्य भी दो बालिग लोगों के संबंध को लेकर आपत्ति नहीं कर सकता है। अदालत ने कहा है कि पार्टनर चुनने का अधिकार अलग-अलग धर्मों के बावजूद जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार का हिस्सा है। किसी बालिग जोड़े को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है। व्यक्ति की पसंद का तिरस्कार, पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है।
हम हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि दो युवा देख रहे : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा, “हम हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि दो युवा देख रहे हैं, जिन्हें संविधान का अनुच्छेद-21 अपनी पसंद व इच्छा से किसी व्यक्ति के साथ शांति से रहने की आजादी देता है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।”
हाईकोर्ट ने कहा कि हम यह समझने में नाकाम हैं कि जब कानून दो व्यक्तियों को चाहे वे समान लिंग के ही क्यों न हो शांतिपूर्वक साथ रहने की अनुमति देता है तो किसी को भी चाहे वह व्यक्ति, परिवार अथवा राज्य ही क्यों न हो, उनके रिश्ते पर आपत्ति करने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा प्रियांशी उर्फ समरीन और नूरजहां बेगम उर्फ अंजली मिश्रा के मामले में दिए गए फैसले से असहमति जताते हुए कहा कि इन दोनों मामलों में दो वयस्क लोगों की ओर से अपनी मर्जी से अपना साथी चुनने और उसके साथ रहने की स्वतंत्रता के अधिकार पर विचार नहीं किया गया है। ये फैसले कानूनन सही नहीं है।
याची का कहना था कि वह दोनों बालिग हैं और 19 अक्टूबर 2019 को उन्होंने मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह किया है। इसके बाद प्रियंका ने इस्लाम को स्वीकार कर लिया है और एक साल से वे दोनों पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं। प्रियंका के पिता ने इस रिश्ते का विरोध करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसके खिलाफ उन्होंने याचिका दाखिल की थी। याचिका का विरोध करते हुए प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना प्रतिबंधित है और ऐसे विवाह की कानून में मान्यता नहीं है।
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