नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने बैंक ग्राहकों के हित में बुधवार को एक बड़ा फैसला किया है। इसके अनुसार बैंक के डूबने पर जमाकर्ता (Depositor) की 5 लाख रुपये तक की रकम 90 दिन के भीतर वापस मिल जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को इससे जुड़े प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी। कैबिनेट ने इसे अमल में लाने के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट (DICGC Act) में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने मीडिया को यह जानकारी दी।
हालांकि, सरकार 2020 में ही डिपॉजिट इंश्योरेंस की लिमिट 5 गुना बढ़ाने का ऐलान कर चुकी थी, लेकिन इसे कैबिनेट की मंजूरी मिली है। अभी इसे संसद की मंजूरी मिलना बाकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बिल को संसद के मॉनसून सत्र में ही पेश किया जाएगा।
पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक के 2020 में डूबने के बाद डिपॉजिट इंश्योरेंस बढ़ाने का फैसला लिया था। केंद्रीय बजट में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट, 1961 में संशोधन का ऐलान किया था। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते बजट सत्र को स्थगित कर दिया गया था।
सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस में 1993 के 27 साल बाद पहली बार बदलाव किया है। ताजा फैसला 4 फरवरी 2020 से लागू होगा। यानी PMC, लक्ष्मी विलास बैंक और यस बैंक के ग्राहकों को भी इसका फायदा मिलेगा। DICGC एक्ट 1961 की धारा 16 (1) के मुताबिक अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो DICGC प्रत्येक जमाकर्ता को पेमेंट करने के लिए जिम्मेदार होता है। क्योंकि वह जमाकर्ताओं द्वारा जमा किए गए रकम पर 1 लाख रुपए तक का बीमा होता है। इसी लिमिट को सरकार ने बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है।
डिपॉजिट इंश्योरेंस के तहत, ग्राहक के कुल 5 लाख रुपए ही सुरक्षित होते हैं। अगर ग्राहक का एक ही बैंक की कई ब्रांच में अकाउंट है, तो सभी अकाउंट में डिपॉजिट अमाउंट और ब्याज जोड़कर 5 लाख तक की रकम ही सुरक्षित मानी जाएगी। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होंगे।
बैंक के सभी डिपॉजिट DICGC के दायरे में आते हैं, जिसमें सेविंग्स, फिक्सड डिपॉजिट समेत करंट अकाउंट शामिल हैं। किसी भी बैंक को रजिस्टर करते समय में DICGC उन्हें प्रिंट हुआ पर्चा देता है। पर्चे में जमाकर्ताओं को मिलने वाले इंश्योरेंस की डीटेल होती है। इस डीटेल के बारे में जानने के लिए जमाकर्ता बैंक के ब्रांच अधिकारी से पूछताछ कर सकता है।
इंश्योरेंस कवर बढ़ने के साथ बैंक ग्राहकों को एक तरफ फायदा तो हुआ लेकिन दूसरी ओर, प्रति 100 रुपये पर लगने वाला प्रीमियम भी 10 पैसे से बढ़कर 12 पैसे हो गया है। गौरतलब है कि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानी DICGC, रिजर्व बैंक की स्वामित्व वाली एक संस्था है, जो बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर मुहैया कराती है।
गारंटी राशि बढ़ाने पर बैंकों में लोग गारंटी राशि के बराबर पैसा जमा कराने को लेकर परेशान नहीं होंगे, जिससे लोगों का भरोसा भी बैंकिंग सिस्टम पर बढ़ेगा। नतीजतन, सेविंग बढ़ने से बैंक ज्यादा कर्ज दे सकेंगे।
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