नयी दिल्लीः इस बार के आम बजट में भी तमाम लोगों को आयकर स्लैब में बदलाव का इंतजार था पर मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण सुनने के बाद निराशा ही हाथ लगी। साथ ही वित्त मंत्री ने घोषणा की कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा। हालांकि निवेश के लोकप्रिय जरि. क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगा दिया है।
वित्त मंत्री ने एलान किया कि आईटीआर में खामियों को सुधारने के लिए 2 साल तक का वक्त मिलेगा। किसी त्रुटि को ठीक करने का अवसर प्रदान करने के लिए करदाता अब 2 वर्षों के भीतर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। वित्त मंत्री का कहना है कि नया प्रावधान स्वैच्छिक कर फाइलिंग सुनिश्चित करेगा और मुकदमेबाजी को कम करेगा।
दरअसल, आयकरदाता (Taxpayers) लगातार 8 साल से इनकम टैक्स में छूट की उम्मीद कर रहे थे। इससे पहले साल 2014 में टैक्स के मोर्चे पर आयकरदाताओं को राहत मिली थी। टैक्सपेयर्स की मांग है कि पिछले आठ साल में बहुत बदलाव हुए हैं, महंगाई (Inflation) बढ़ी है, खर्चे बढ़े हैं. लेकिन टैक्स के मोर्चे पर राहत नहीं मिली। अब फिर एक साल तक इंतजार करना होगा. पुराने स्लैब के हिसाब से ही टैक्सपेयर्स को आयकर देना होगा।
2020 में पेश की गई थी नयी टैक्स व्यवस्था
हालांकि, निर्मला सीतारमण ने अब तक टैक्स स्लैब और दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन उन्होंने बजट 2020 में एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी। 2020 में पेश की गई नई कर व्यवस्था के तहत कर छूट और कटौती को छोड़ने के इच्छुक लोगों के लिए कर की दरें कम कर दी गई हैं।
नयी कर व्यवस्था करदाताओं के लिए वैकल्पिक बनी हुई है। इसका मतलब है कि करदाता के पास या तो पुरानी व्यवस्था से जुड़े रहने या नई व्यवस्था चुनने का विकल्प होता है। वर्तमान में 2.5 रुपये तक की आय दोनों व्यवस्थाओं के तहत कराधान से मुक्त है। 2.5 से 5 लाख रुपये के बीच की आय पर पुराने और साथ ही नई कर व्यवस्था के तहत 5 प्रतिशत की दर से कर लगता है।
नई टैक्स व्यवस्था में पांच लाख से ज्यादा आय वालों को ज्यादा फायदा
पांच लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय पर पुरानी व्यवस्था के तहत 20 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है, जबकि नई व्यवस्था के तहत कर की दर 10 प्रतिशत है।
पुरानी व्यवस्था में 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच की आय पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगता है, जबकि नई व्यवस्था में कर की दर 15 प्रतिशत है। पुरानी व्यवस्था के तहत 10 लाख रुपये से अधिक की व्यक्तिगत आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है। हालांकि, नई व्यवस्था के तहत, 10 लाख रुपये से ऊपर के तीन स्लैब हैं।
नई व्यवस्था के तहत 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये के बीच की व्यक्तिगत आय पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगता है। 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की आय पर 25 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है। प्रभावी कर की दर उपकर और अधिभार के कारण बहुत अधिक है।
पांच लाख रुपये तक की शुद्ध कर योग्य आय वाले व्यक्ति को पुराने और साथ ही नई कर प्रणाली दोनों में धारा 87A के तहत 12,500 रुपये तक की कर छूट का लाभ उठाने की अनुमति है। इसलिए प्रभावी रूप से दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत पांच लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों की कर देयता शून्य है।
इसी साल लॉन्च होगी डिजिटल करेंसी
ब्लॉकचेन और अन्य टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए इसी साल आरबीआई डिजिटल रुपया जारी करेगी। इससे इकोनॉमी को बहुत अधिक बढ़ावा मिलेगा। क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर 30% का टैक्स लगाया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि वर्चुअल डिजिटल असेट्स के टैक्सेशन में बदलाव किया गया है। ऐसी किसी भी प्रॉपर्टी के ट्रांसफर पर 30% टैक्स लगेगा। कोई छूट नहीं मिलेगी। कॉरपोरेट टैक्स को 18% से घटाकर 15% कर दिया गया है।
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