‘निकाह हलाला’ का मतलब है कि कोई व्यक्ति तीन तलाक के बाद किसी महिला से तबतक पुनर्विवाह नहीं कर सकता है जब तक वह किसी अन्य व्यक्ति के साथ अपना वैवाहिक संबंध कायम नहीं कर लेती है और उसके नये पति की मृत्यु न हो जाए या वह उसे तलाक न दे दे।
सीएनएन के रिपोर्ट्स के मुताबिक इस याचिका को काफी समर्थन मिला, यही वजह रही कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत मिला। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अप्रत्याशित जीत हासिल करते हुए 403 सीटों में से 312 पर कब्जा जमाया। 1980 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब किसी पार्टी ने राज्य विधानसभा चुनाव में 300 से ज्यादा सीटों पर कामयाबी हासिल की।
हालिया जनगणना के मुताबिक देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की आबादी करीब 20 करोड़ है, जिसमें लगभग 18.5 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिमों की है। तीन तलाक का मुद्दा अभी उच्चतम न्यायालय में लंबित है। इसी बीच कुछ महिलाओं ने इस संबंध में एक याचिका दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने तीन तलाक के विरोध में अपनी दलील रखते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया था। केंद्र ने कहा था कि यह महिलाओं के साथ अन्याय और भेदभाव की धारणा पैदा करता है, हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शीर्ष अदालत में तीन तलाक की पैरवी करते हुए कहा था कि महिला की हत्या करने से बेहतर उसे तलाक देना है। मुस्लिम संस्था ने कहा, ‘धर्म के नियमों पर अदालती कानून सवाल नहीं उठा सकती.‘
बीते साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तीन तलाक का विरोध करते हुए कहा इसे खत्म करने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था-मुस्लिम महिलाओं के जीने के अधिकार को तीन तलाक के जरिये बर्बाद नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही मोदी ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने और वोटबैंक के लिए इस्तेमाल करने पर विपक्ष की आलोचना की थी।
उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ मुस्लिम समाज में प्रचलित ‘तीन तलाक’, ‘निकाह हलाला’ और ‘बहुविवाह’ की प्रथा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करके इनका फैसला करेंगी. प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इन मामलों के विषय में संबंधित पक्षों द्वारा तैयार तीन प्रकार के मुद्दों को रिकॉर्ड पर लिया और कहा कि संविधान पीठ के विचारार्थ इन प्रश्नों पर 30 मार्च को फैसला किया जायेगा।
पीठ ने कहा, ‘ये मुद्दे बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन मुद्दों को टाला नहीं जा सकता।’ केंद्र द्वारा तैयार कानूनी मुद्दों का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि ये सभी संवैधानिक मुद्दों से संबंधित हैं और संविधान पीठ को ही इनकी सुनवाई करनी चाहिए।
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