गौरैयागौरैया
  • विश्व गौरैया दिवस पर विशेष

मेरा नाम है गौरैया। आप लोग शायद मुझे नहीं जानते होगे पर आपके मम्मी-पापा, दादा-दादी, नाना-नानी मुझे बहुत अच्छे से जानते हैं। मैं आज भी आपके गांव मे बड़े आराम से रहती हूं क्योंकि वहां के आंगन और दादी के फटके हुए गेहूं-चावल और ज्वार-बाजरा के दाने मुझे बहुत ही भाते हैं। जैसे की आप लोग कहते हैं न, i’m’ lovin’ it ! 

गाँव के तालाब का पानी पीना और उसमें छप-छप करके नहाना मुझे बहुत पसंद है क्योंकि ये मुझे बढ़ती हुई गर्मी मे बचा के रखता है। पर आप लोगों के इन बड़े-बड़े शहरों में मेरे जैसी छोटी चिड़िया के खाने के लिए दाने और कीड़े-मकौड़ों तथा रहने के स्थान की कमी होने के कारण मुझे आप लोगों से अब तक मिलने का मौका नहीं मिल पाया है।  

दादी-नानी कहती थीं कि मेरे आने से लक्ष्मी मैया आने लगती हैं पर ऐसा नहीं था। वे ऐसा इसलिए कहती थीं क्योंकि मैं बीमारी फैलाने वाले कीड़े-मकोड़ों और उनके लार्वा को खा जाती थी जिसके कारण बीमारी नहीं फैलती थी और लोग किसी कीट नियंत्रक के इस्तेमाल किए बिना ही स्वस्थ रहते थे। अब तो आप ही समझ गए होंगे की उनको बहुत पहले से पता था क़ि “Health is Wealth!”

अब आप लोग सोच रहे होंगे कि आज अचानक मैं आपसे मिलने कैसे आ गई? जैसे आप लोग अपना जन्मदिन मानते हो ना, वैसे ही कुछ भले लोगों ने मेरी घटती संख्या को देखकर विश्व गौरैया दिवस मनाना शुरू कर दिया है। साल 2010 में पहली बार यह दिवस मनाया गया था।

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार मेरी संख्या में करीब 60 फीसदी तक कमी आ गई है। इस दिवस का उद्देश्य मेरा संरक्षण करना है। कुछ वर्षों पहले मैं आसानी से आपके शह्ररों में भी दिख जाती थी पर अब आपके शहरों में मैं तेजी से विलुप्त हो रही हूं। दिल्ली-एनसीआर में तो मैं इस कदर दुर्लभ हो गई हूं किआप मुझे ढूंढे से भी नहीं देख पाएंगे। मेरे संरक्षण के उद्देश्य से साल 2012 में दिल्ली सरकार ने मुझे राज्य पक्षी घोषित किया था।

अब तो आप लोगो को मैंने इतने सारे कारण दे दिए  हैं ‘World Sparrow Day’  मनाने के। तो क्या अब भी स्वागत नहीं करेंगे हमारा?

-तपेश तिवारी, ग्रेटर नोएडा

6 thoughts on “<strong>गौरैया हूं मैं, आपके पुरखे बहुत अच्छे से जानते थे मुझे</strong>”
  1. Very true. We all r just running mindlessly to achieve nothing . Just wait, watch, study urself and look world in different way. Success is not in money bundles but in qty of happiness, pleasure gathered and provided to others.

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