नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर नये-नये रिकॉर्ड बना रही है। कोरोना के नये वैरिएंट ओमिक्रॉन के मरीजों की संख्या में भी लगातार इजाफ हो रहा है। ऐसे में संक्रमण से बचाव के लिए मास्क और दो गज की दूरी का महत्व तो है ही, अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) भी कवच का काम करती है। केंद्र सरकार ने भी बुधवार को कहा कोरोना के बारे में जितना पता चला है, उससे संकेत मिलता है कि बेहतर प्रतिरोधक क्षमता से इस बीमारी से बचा जा सकता है। ‘क्लिनिकल’ और ‘प्री-क्लिनिकल’ ट्रायल ने आयुष दवाओं ने प्रभाव क्षमता को साबित किया है।
आयुष मंत्रालय में विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि क्लिनिकल और प्री-क्लिनिकल अध्ययन के आधार पर बीमारी से बचने और उसके प्रबंधन में आयुष दवाओं का सुझाव दिया गया है। पाठक ने कहा कि कोरोना प्रबंधन में आयुष मंत्रालय ने “आयुष 64” और “कुबासुरा कुदिनीर” का सुझाव दिया है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने कोरोना के लिए “आयुरक्षा किट” भी तैयार की है। इस किट में जो दवाएं हैं, उनसे कोरोना की रोकथाम के लिए 6 ग्राम च्यवनप्राश, आयुष क्वाथ 75 मिली दिन में एक बार और समशमणि वटी 500 मिलीग्राम दिन में दो बार ले सकते हैं। इसके अलावा अणु तेल दिन में एक से दो बार दोनों नथुनों में डालना है। इन दवाओं से काफी राहत मिलती है। साथ ही गुडुची घनवटी 500 मिलीग्राम दिन में दो बार या अश्वगंधा टैबलेट 500 मिलीग्राम दिन में दो बार लेने से प्रतिरक्षा शक्ति काफी बढ़ सकती है।
केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (Central Council for Research in Ayurvedic Sciences,CCRAS) ने हल्के और मध्यम कोरोना संक्रमण के मामलों में इलाज के लिए आयुष-64 के फार्मूले को 46 कंपनियों के साथ साझा किया था। इससे पहले सिर्फ सात कंपनियों के पास ही इस दवा को बनाने का लाइसेंस था जिसका इस्तेमाल मलेरिया का इलाज करने के लिए किया जाता था।
गौरतलब है कि केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आयुर्वेद में शोध करने वाली एक संस्थान है। इसने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के सहयोग से हाल में इस दवा का विस्तृत और गहन परीक्षण किया है।