इसे एक्सप्लोरेशन मिशन-1 नाम दिया गया है और इसके जरिए ओरियन अंतरिक्षयान के साथ-साथ 13 नैनो उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह उड़ान वर्ष 2023 में भेजे जाने वाले मानव मिशन का मार्ग प्रशस्त करेगी क्योंकि ओरियन अंतरिक्षयान के जरिए मानव को मंगल पर भेजा जाएगा।
एसएलएस रॉकेट की परीक्षण उड़ान से भेजे जाने वाले नैनो उपग्रहों में से प्रत्येक का वजन करीब दो पौंड है। ये उपग्रह सुदूर अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने के दौरान मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का भी अध्ययन करेंगे। इनमें लॉकहीड मार्टिन द्वारा तैयार किया गया स्काईफायर भी शामिल है, जो चंद्रमा के करीब से गुजरेगा और इस पर लगे सेंसर आंकड़े एकत्र करेंगे। इसी तरह लूनर फ्लैशलाइट चांद की अंधेरी सतह पर लेजर डालकर बर्फ की जानकारी हासिल करेगा। लूनर आइसक्यूब चंद्रमा की सतह से 62 मील की ऊंचाई पर चक्कर काटते हुए बर्फ और दूसरे संसाधनों की खोज करेगा। लूनाएच-मैप चंद्रमा के गड्ढों और दक्षिण ध्रुव में हाइड्रोजन का पता लगाएगा। दूसरे नैनो उपग्रह तो इससे भी आगे जाएंगे।
ईएम-1 का एक ऐतिहासिक पहलू यह भी है कि पहली बार किसी महिला को लॉन्च की कमान सौंपी गई है। नासा की एसएलएस टीम चार्ली ब्लैकवेल थॉमसन को पहले ही ट्विटर पर इसकी बधाई दे चुकी है।
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