वाशिंगटनपुराने समय में घर में बड़े-बड़े, ऊंची छत वाले और हवादार कमरे बनाने की परंपरा थी। इस परंपरा की वैज्ञानिकता पर कोरोना संक्रमण को लेकर हुए एक नए अनुसंधान ने मुहर लगा दी है। इस अध्ययन में पाया गया है किकिसी कमरे में कोविड-19 (कोरोना) के हवा से होने वाले प्रसार को रोकने के लिए शारीरिक दूरी (Physical distance) से अधिक महत्वपूर्ण है मास्क और बेहतर वेंटिलेशन व्यवस्था।

फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में, अनुसंधानकर्ताओं ने विद्यार्थियों और एक शिक्षक के साथ एक कक्षा का कंप्यूटर मॉडल तैयार किया है (कक्षा का मॉडल 709 वर्ग फुट का था जिसमें नौ फुट ऊंची छत थी)। यह किसी छोटे आकार वाली कक्षा के समान था। इसके बाद हवा के प्रवाह और बीमारी के प्रसार के संबंध में नमूना तैयार किया और हवा से संक्रमण फैलने के खतरे को मापा। प्रारूप में मास्क लगाए हुए विद्यार्थियों, जिनमें से कोई भी एक संक्रमित हो सकता है और कक्षा में आगे मास्क लगाए एक शिक्षक को रखा गया।

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा में सहायक प्राध्यापक माइकल किनजेल ने कहा, “यह अनुसंधान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आंतरिक वातावरण में सुरक्षा को हम कैसे समझ रहे हैं इस पर मार्गदर्शन देता है।” किनजेल ने कहा, ‘‘अध्ययन में पाया गया कि हवा से होने वाले प्रसार को रोकने के लिए 6 फुट की दूरी की जरूरत नहीं है जब आपने मास्क जरूर लगाया हो।”

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक अध्ययन दर्शाता है कि मास्क लगाने से प्रसार की आशंका शारीरिक दूरी बढ़ने के साथ घटती नहीं है जो इस बात पर जोर देता है कि स्कूलों या अन्य स्थानों पर क्षमता बढ़ाने के लिए मास्क को आवश्यक बनाने की कितनी जरूरत है।

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