ब्यूनस आयर्स। विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के अरबों रुपये डकार कर देश से भागने के बाद भारत सरकार सतर्क हो गई है। ऐसी घटनाएं भविष्य में ना हों इसके लिए वह लगातार कोशिश कर रही है। मोदी सरकार देश के भीतर कानून में बदलाव करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भगोड़ों पर लगाम लगाने का प्रयास कर रही है। भारत ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने के लिए शुक्रवार को जी20 देशों के समक्ष नौ-सूत्रीय एजेंडा पेश किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार, अंतरराष्ट्रीय वित्त और कर प्रणाली पर जी-20 शिखर सम्मेलन के दूसरे सत्र में यह एजेंडा पेश किया।
भारत ने जी20 देशों से ऐसी प्रणाली विकसित करने में सहयोग मांगा जिससे भगोड़े आर्थिक अपराधियों को किसी अन्य देश में सुरक्षित शरण ना मिल पाए। एजेंडे में कहा गया कि आर्थिक अपराधों को रोकने के लिए कानूनी प्रक्रिया में सहयोग, अपराधियों की जल्द वापसी और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को विकसित करने व इसे सुव्यवस्थित किए जाने की जरूरत है।
12 साल बाद त्रिपक्षीय वार्ता
भारत, चीन और रूस के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र (UN) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) सहित अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की मांग उठाई। तीनों देशों के नेताओं के बीच 12 साल के अंतराल के बाद शनिवार को यहां हुई बैठक में बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, वैश्विक तरक्की और समृद्धि के लिए मुक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था की तारीफ की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग पर विचार विमर्श के लिए शुक्रवार को जी20 सम्मेलन के इतर यहां त्रिपक्षीय वार्ता की। तीनों देशों के बीच करीब 12 साल बाद यह दूसरी त्रिपक्षीय वार्ता है।
मोदी ने कहा, ‘रूस, भारत और चीन (RIC) की शानदार त्रिपक्षीय बैठक हुई। राष्ट्रपति पुतिन, राष्ट्रपति शी चिनफिंग और और मैंने कई ऐसे विषयों पर चर्चा की जो हमारे बीच मित्रता और विश्व में शांति को बढ़ाने में मददगार होगी।’ रूस, भारत और चीन की बैठक से पहले मोदी, उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहली त्रिपक्षीय बैठक की.
वैश्विक वित्तीय संस्थानों को मजबूत करने पर सहमति
प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर कहा कहा, ‘विकास में महत्वपूर्ण भागीदारों के साथ संबंधों में प्रगाढ़ता के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, राष्ट्रपति चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्यूनस आयर्स में आरआईसी त्रिपक्षीय वार्ता में हिस्सा लिया।’ विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि तीनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग और तीनों देशों के बीच आपसी बातचीत को बढ़ाने पर चर्चा की।
बयान में बताया गया, ‘विश्व को लाभ पहुंचाने वाले संयुक्त राष्ट्र, डब्ल्यूटीओ, नए वैश्विक वित्तीय संस्थानों सहित अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार और उन्हें मजबूत करने की जरूरत पर तीनों नेताओं ने सहमति जताई। उन्होंने बहुपक्षीय कारोबार प्रणाली और वैश्विक तरक्की और समृद्धि के लिए मुक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था की तारीफ की।’
बयान में बताया गया, ‘साझा रूप से अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति के प्रचार के लिए नियमित तौर पर आपसी संपर्क बनाए रखने पर भी तीनों नेताओं में सहमति थी। साथ ही ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका), एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) और ईस्ट एशिया समिट (ईएएस) के जरिए आपसी सहयोग को मजबूत करने तथा आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने तथा सभी मतभेदों के शांतिपूर्ण तरीके से समाधान पर भी सहमति जताई गई।’ आरआईसी की बैठक के बारे में मीडिया को बताते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि त्रिपक्षीय बैठक ‘बेहद सकारात्मक’ रही।