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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा- भारतीय बेवजह भाग रहे अस्पताल, 15% से भी कम कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत

जिनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO, डब्लूएचओ) ने कहा है कि भारत में लोग बेवजह अस्पताल भाग रहे हैं जबकि उनका इलाज आसानी से घर में ही हो सकता है। ऐसे संवेदनशील स्थानों (कोविड अस्पतालों) पर बेतहाशा भीड़ बढ़ने से भी वैश्विक महामारी कोविड-19  (कोरोना) का संक्रमण तेजी से फैल रहा है।

डब्लूएचओ के प्रवक्ता तारिक जासेरवेक ने मंगलवार को कहा कि भारत में कोरोना संक्रमण से मौत की तादाद दो लाख के पार जा चुकी है। इसके बावजूद अस्पतालों में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है और मरीजों को भर्ती करने के लिए बेड भी नहीं हैं। डब्लूएचओ अब भारत को अहम उपकरण और सामग्रियों की आपूर्ति कर रहा है। इसमें चार हजार ऑक्सीजन कांसेंट्रेटर भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, “कोविड-19 से संक्रमित 15 फीसद से भी कम भारतीयों को असलियत में अस्पताल में देखभाल की जरूरत है और इससे भी कम भारतीयों को ऑक्सीजन की आवश्यकता है।”

जासेरवेक ने कहा कि मौजूदा समय में समस्या का बड़ा कारण यह है कि हर कोई अस्पताल की ओर भाग रहा है। (ऐसा इसलिए भी है क्योंकि उनके पास कोई जानकारी या उचित सलाह नहीं है।) ऐसा तब है जब कोरोना के मामूली लक्षणों वाले संक्रमण को आसानी से अपने घर में  रहकर ही आसानी से ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समुदाय स्तर के केंद्रों पर मरीजों की स्क्रीनिंग की जानी चाहिए और पॉजिटिव मरीजों को डॉक्टर की सलाह से घर में ही सुरक्षित रहना चाहिए। इसके अलावा, लोगों को ऑनलाइन और डैशबोर्ड पर जानकारियां दी जानी चाहिए।

इससे पहले WHO के प्रमुख डॉ टेड्रोस गेब्रेयेसस ने कहा कि भारत कोविड-19 की भयानक लहर के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। अस्पताल मरीजों से भर गए हैं। श्मशान घाट पर लाशों की कतार लगी है। ये स्थिति हृदयविदारक है।

डॉ गेब्रेयेसस ने कहा कि भारत में पोलियो और ट्यूबरक्लोसिस (TB) के खिलाफ काम कर रहे 2600 एक्सपर्ट्स को कोरोना के खिलाफ काम पर लगा दिया गया है। डब्लूएचओ हर तरह से मदद करने की कोशिश कर रहा है। यूनाइटेड नेशन (UN) की हेल्थ एजेंसी भारत को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और अस्पतालों के लिए जरूरी समान की सप्लाई कर रही है।

डब्लूएचओ का कहना है कि किसी भी देश में सुरक्षात्मक कदम अपनाकर घर में आराम करने वालों का प्रतिशत कम होने, हर तरफ बड़ी तादाद में भीड़ होने और कोरोना के संक्रामक वैरिएंट बढ़ने के बावजूद वैक्सीन कवरेज कम होने से कभी भी बड़ी मुसीबत आ सकती है।

gajendra tripathi

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