प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध को वैध ठहराया है। शुक्रवार को दिए गए अहम फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर से अजान दूसरे लोगों के अधिकारों में हस्तक्षेप करना है। अदालत अजान के समय लाउडस्पीकर के प्रयोग से सहमत नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा, “अजान इस्लाम का अहम हिस्सा है लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं है।” अदालत ने लाउडस्पीकर से अजान देने की अनुमति देने से इंन्कार कर दिया। इस मामले में बीती 5 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हाईकोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। अजान इस्लाम का धार्मिक भाग है। मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने कहा, “ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है।” 

हाईकोर्ट ने गाजीपुर से बसपा के सांसद अफजाल अंसारी की अजान पर रोक के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर यह फैसला दिया है। अफजाल अंसारी ने जिलाधिकारी द्वारा मस्जिदों मे लॉकडाउन के दौरान अंजान पर लगायी गई रोक के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट मे याचिका दाखिल की थी। गाजीपुर के साथ ही हाथरस और फर्रुखाबाद की मस्जिदों में अजान पर लगी रोक को हटाने के लिए याचिकाएँ दायर की गई थीं।

हाईकोर्ट ने गाजीपुर की मस्जिदों में अजान पर रोक के मामले में गाजीपुर के जिलाधिकारी के आदेश को रद्द करते हुए मस्जिदों से लाउडस्पीकर के वगैर अजान की अनुमति दे दी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मस्जिदों में अजान से कोरोना वायरस (कोविड-19) की गाइडलाइन का कोई उल्लंघन नहीं होता। हाई कोर्ट अजान के समय लाउडस्पीकर के प्रयोग से सहमत नहीं है। उसने मस्जिदों से लाउडस्पीकर से अजान पर रोक को वैध माना है।

हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदैश के मुख्य सचिव को इस आदेश का सभी जिलाधिकारियों से अनुपालन कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने अफजाल अंसारी व फर्रूखाबाद के सैयद मोहम्मद फैजल की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। 

बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी को भी दूसरे को जबरन सुनाने का अधिकार नहीं देती

याची ने लाउडस्पीकर से मस्जिद से रमजान माह में अजान की अनुमति नहीं देने को धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने की मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर हस्तक्षेप करने की मांग की। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर किया और सरकार से पक्ष रखने को कहा।  दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। लाउडस्पीकर से अजान  पर रोक सही है। हाईकोर्ट ने कहा, “जब लाउडस्पीकर नहीं था तो भी अजान होती थी, इसलिए यह नहीं कह सकते कि स्पीकर से अजान रोकना अनुच्छेद 25 के धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन है।”

हाईकोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 स्वस्थ जीवन का अधिकार देता है। बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी को भी दूसरे को जबरन सुनाने का अधिकार नहीं देती है। एक निश्चित ध्वनि से अधिक तेज आवाज बिना अनुमति बजाने की छूट नहीं है। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउड (स्पीकर) की आवाज पर रोक का कानून है।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए लागी किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सभी प्रकार के आयोजनों एवं एक स्थान पर इकट्ठा होने पर उत्तर प्रदेश में रोक लगायी गई है। लाउडस्पीकर बजाने पर भी रोक है।

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