बोस्टन। बेहद सर्द मौसम में चीन, इटली, स्पेन, अमेरिका, इंग्लैंड आदि देशों में पांव पसार कर लाखों लोगों की जान लेने वाले “अदृश्य शत्रु” कोरोना वायरस को लेकर कहा जा रहा था कि गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही इसका प्रभाव कम हो जाएगा। लेकिन हुआ इसके उलट, गर्मी की दस्तक के साथ ही यह अमेरिका और भारत में और भी मारक हो गया। अब एक नये शोध ने इस बात पर मोहर लगा दी है गर्म मौसम से भी कोविड-19 यानी कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा कम नहीं हो सकता।

अमेरिका में हुई एक रिसर्च से यह बात सामने आई है कि अधिक तापमान से भी कोविड-19 के संक्रमण में किसी तरह का बदलाव नहीं आएगा। इस रिसर्च को जर्नल क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित किया जाएगा।

गौरतलब है कि पिछले साल चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस ने दुनिया के तमाम देशों को चपेट में ले लिया। पूरी दुनिया में इस घातक वायरस की वजह से जारी संकट के समाधान के लिए शोध जारी है। कई देशों ने दावा किया है कि वैक्सीन तैयार हो गई है, बस क्लिनिकल ट्रायल शेष है। आपको याद होगा कि बीते अप्रैल में अमेरिका स्थित मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने घोषणा की थी कि गर्म आर्द्र मौसम का संबंध कोविड-19 की संक्रमण दर के धीमा होने से है। इससे यह पता चलता है कि मानसून की वर्षा के दौरान एशियाई देशों में महामारी का खतरा कम होगा। इस अध्ययन में विभिन्न देशों में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या का आकलन किया और उसकी तुलना विभिन्न इलाकों के तापमान और आर्द्रता के आधार पर की गई। इसी प्रकार अमेरिकी प्रशासन के एक लोक स्वास्थ्य अधिकारी ने हाल में घोषणा की थी कि अध्ययन में पाया गया कि सूर्य की रोशनी, उष्मा और आर्द्रता से ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं जो कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने के अनुकूल नहीं है।

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