वाशिंगटन। दुनिया की कई बड़ी प्रयोशालाओं (Laboratories) में कोरोना वायरस को लेकर चल रहे शोध में नयी-नयी जानकारियां सामने आ रही हैं। इनमें सबसे प्रमुख है कि कोरोना के चलते स्वास्थ्य संबंधी दूसरी कई गंभीर समस्याओं का भी खतरा बढ़ गया है। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि इस खतरनाक वायरस की चपेट में आने वाले स्वस्थ युवाओं में स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
अमेरिका की थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, यह निष्कर्ष गत 20 मार्च से 0 अप्रैल के दौरान उनके संस्थान में स्ट्रोक का सामना करने वाले कोरोना वायरस रोगियों के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है। यह अध्ययन जर्नल न्यूरोसर्जरी में प्रकाशित हुआ है। यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता पास्कल जेब्बोर ने कहा, “हम 30 से 50 साल की उम्र के रोगियों में स्टोक के मामले उसी तरह देख रहे हैं जिस तरह आमतौर पर 70 से 80 साल के मरीजों में देखते हैं। हालांकि हमारा यह आकलन प्रारंभिक है और महज 14 रोगियों पर आधारित है, लेकिन हमने जो कुछ देखा, वह चिंता करने वाली बात है।” शोधकर्ताओं ने जिन 14 रोगियों पर अध्ययन किया, उनमें से 8 पुरुष और 6 महिलाएं थीं। इनमें से आधे पीडि़तों को यह तक पता नहीं था कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित हैं।
पास्कल जेब्बोर के मुताबिक, “कोरोना वायरस की चपेट में आने से अनजान युवा लोगों में ब्लड क्लाटिंग (रक्त का थक्का) की समस्या खड़ी हो सकती है जो स्ट्रोक की बड़ी वजह है।” पूर्व के अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि कोरोना वायरस एक खास एंजाइम के जरिये मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है। एसीई-2 नामक यह एंजाइम मानव कोशिकाओं में पाया जाता है। पास्कल और उनके साथियों का आकलन है कि यह एंजाइम सामान्य तौर पर रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है, लेकिन कोरोना वायरस एंजाइम के इस काम में दखल देने के जरिये कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है। उन्होंने रक्त वाहिनियों में सूजन के चलते भी ब्लड क्लाटिंग का अंदेशा जताया है।
सर्दी में बढ़ जाती है स्ट्रोक का संभावना
इससे पहले नई दिल्ली स्थित पीएसआरआई अस्पताल के एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ था कि सर्दी का मौसम आते ही स्ट्रोक की संभावनाएं 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं। अस्पताल के न्यूरोसाइंसेज विभाग के डॉ. अमित वास्तव ने कहा कि ठंड के महीनों में सभी प्रकार के स्ट्रोक के मामलों में वृद्धि हो सकती है। पहले हुए कई अध्ययनों के अनुसार सर्दियों के महीनों में इंफेक्शन की दर में वृद्धि, व्यायाम की कमी और हाई ब्लड प्रेशर स्ट्रोक की बढ़ी हुई घटनाओं का कारण थे। सर्दियों के दौरान वायु काफी हद तक प्रदूषित रहती है। प्रदूषित वायु के कारण लोगों की छाती और हृदय की स्थिति और भी बिगड़ जाती है।