मुंबई । सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी ने शनिवार को कहा कि यह संस्था सिर्फ फिल्मों को प्रमाणपत्र देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, बल्कि वह भारत की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित रखने के लिए भी जिम्मेदार है। निहलानी ‘लिप्सटिक अंडर माई बुर्का’ नामक फिल्म को प्रमाणपत्र देने से इंकार करने के सेंसर बोर्ड के फैसले के संदर्भ में बोल रहे थे।
Ppl in media&on social media don't know certification process;CBFC wil not work acc to them-Pahlaj Nihalani #LipstickUnderMyBurkha (FilePic) pic.twitter.com/vMUfDlSlbw
— ANI (@ANI) February 25, 2017
उन्होंने कहा, ‘सेंसर बोर्ड सरकार का हिस्सा है और उसकी जिम्मेदारी सिर्फ फिल्मों को प्रमाणपत्र देने की नहीं है, बल्कि वह देश की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित रखने के लिए भी जिम्मेदार है। सेंसर बोर्ड जरूरी है ताकि लोगों के सामने सही ढंग की फिल्में जा सकें।’ निहलानी ने कहा, ‘जब तक मैं यहां हूं, तब तक यथास्थिति बरकरार रहेगी। हम दिशानिर्देशों का अनुसरण करेंगे। मैं अपने विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों का धन्यवाद करता हूं जो संजीदगी और ईमानदारी से सरकारी नियमों का पालन कर रहे हैं।’
The real problem people have is that now they cannot get their films passed by paying money :Pahlaj Nihalani #LipstickUnderMyBurkha pic.twitter.com/KRfDIqLRjS
— ANI (@ANI) February 25, 2017
उन्होंने कहा कि बोर्ड को फिल्म के शीर्षक से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन फिल्म में महिला सशक्तीकरण के विषय को जिस ढंग से दिखाया गया है, उससे आपत्ति है।