नयी दिल्ली। अगले साल से देश में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब देश के समस्त हिस्सों में बच्चे एक सा पाठ्यक्रम पढ़ेंगे और एक ही पद्धति से परीक्षाएं देंगे। केन्द्र सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब अलग अलग बोर्ड्स के अलग-अलग पाठ्यक्रम और मार्किंग नीति को खत्म कर सभी बोर्ड्स के लिए एक नीति की व्यवस्था शुरू करने जा रहा है। यह नीति 2018 से सभी बोर्डों के लिए लागू हो जाएगी। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस साल सीबीएसई की प्राथमिक शिक्षा को नई नीति से छूट दी है, क्योंकि सीबीएसई बोर्ड की टाइमिंग बाकी बोर्ड से अलग है।
एचआरडी मिनिस्ट्री ने इसके लिए एक अतंर-बोर्ड कार्यकारी समूह (IBWG) का गठन किया है। यह समूह आठ बोर्डों की तुलना कर अलग-अलग सिलेबस और मार्किंग व्यवस्था को खत्म कर एक कॉमन नीति को लागू करने के लिए काम करेगा। यह ग्रुप बोर्ड की ओर से परीक्षा में दिए जाने वाले ग्रेड अंक, सख्त मार्किंग के नियमों की समीक्षा कर सबके लिए एक समान नीति तय करेगा।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, यह ग्रुप (IBWG) सभी बोर्डों के लिए एक पाठ्यक्रम तैयार करने और नई नीति को लागू कराने के लिए लगातार काम करेगा।
प्रमुख बातें-
IBWG – यह ग्रुप गुजरात, तेलंगाना, केरल, छत्तीसगढ़, मणिपुर, जम्मू और कश्मीर, सीबीएसई और सीआईएससीई के पाठ्यक्रम के तुलना कर नया पाठ्यक्रम तैयार करेगा।
ग्रेस मार्क : उत्तीर्ण प्रतिशत बढ़ाने के लिए ग्रेस मार्क देने की व्यवस्था जारी रहेगी। नए नियम के अनुसार, ग्रेस मार्क देने की नीति का ब्यौरा बोर्ड की वेबसाइट पर दिया जाएगा, साथ ही ग्रेस मार्क पाने वाले छात्र की मार्कशीट में भी इसकी जानकारी दी जाएगी।
अतिरिक्त पाठ्यक्रम के लिए दिए जाने वाले ग्रेड और नंबर भी मार्कशीट पर लिखे होंगे।
सभी प्रमुख विषयों का पाठ्यक्रम सभी बोर्ड के लिए एक जैसा होगा और यह सभी बोर्डों के लिए लागू होगा।
राज्य के बोर्ड सीबीएसई बोर्ड के साथ अपने प्रश्नपत्र शेयर भी कर सकते हैं यानी सभी राज्यों के बोर्ड के प्रश्नपत्र करीब करीब समान होंगे।