नयी दिल्ली, 3 नवंबर। हिंदू महाकाव्य महाभारत की एक नए सिरे से व्याख्या करने का सुंदर प्रयास किया गया है । महाभारत को नृत्य नाटिका शैली में प्रस्तुत करते हुए इसके महत्वपूर्ण पात्रों पांडवों, कौरवों, द्रोपदी और भगवान कृष्ण के जीवन के अंतिम समय की मनोदशा का चित्रण किया गया है जिसमें वह अपने भीतर झांकते हुए इस सवाल का जवाब तलाशते हैं कि क्या इतने बड़े युद्ध की जरूरत थी भी या नहीं ?
नृत्यांगना शमा भाटे ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य के जरीए अपने नए नृत्य-नाटक ‘अतीत की परछाइयां’ में महाभारत को एक नया रूप देने का प्रयास किया है। निर्देशिका ने युद्ध खत्म होने के बाद उस रक्तपात का गवाह बने लोगों की मनोदशा की एक अलग नजरीए से कल्पना करने की कोशिश की है।
निदेशक ने उस समय की फिर से कल्पना की है कि जब युद्ध समाप्त हो जाता है तो उसकी निर्थकता ने जरूर इस रक्तसंहार का गवाह बने लोगों को झकझोरा होगा। शमा ने कहा, ‘‘ युद्ध खत्म हो गया। वह पीछे मुड़कर युद्ध के दौरान अपनी क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं का आत्मविश्लेषण करने को मजबूर हैं। अचानक से जीत बेकार और निर्थक प्रतीत होती है एवं हार भी उतनी ही अर्थहीन।’’ इंडिया इंटरनेशनल संेटर के वाषिर्क उत्सव ‘‘आईआईसी एक्सपीरियंस – ए फेस्टिवल ऑफ द आर्ट्स’’ में तीन नवंबर को इस शो की प्रस्तुति की जाएगी। यह उत्सव इंडिया इंटरनेशनल संेटर में ही चल रहा है।
कथक नृत्यांगना ने सात विभिन्न भारतीय नृत्य शैलियों कथकली, ओड़िसी, मोहिनीअट्टम, कुचिपुड़ी, भरतनाट्यम, छाउ और कथक के जरिए इस नृत्य-नाटक को तैयार किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने कई नृत्य शैलियों का इस्तेमाल करने की इसलिए ठानी क्योंकि नृत्य के जरिए विभिन्न मुद्राओं, हाव-भाव, चेहरे के भावांे को संक्षेप में बयां किया जा सकता है। ’’ 30 अक्तूबर से शुरू हुए इस उत्सव का समापन चार नवंबर को होगा।