kingfisherनई दिल्ली। फेरा उल्लंघन के सम्मन को कथित रूप से स्वीकार नहीं करने से संबंधित एक मामले में दिल्ली की एक अदालत ने कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ आज गैर जमानती वारंट जारी किया और उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू करने की चेतावनी दी। अदालत ने कहा कि माल्या की वापस लौटने की इच्छा नहीं है और इस देश के कानून के प्रति भी उनके मन में कोई सम्मान नहीं है।

अदालत ने कहा कि शराब कारोबारी माल्या के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू करनी होगी क्योंकि कई मामलों में उनके खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं और वह इनमें व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं हुए हैं। मुख्य मेट्रोपोलिटन मेजिस्ट्रेट सुमित दास ने यह भी कहा कि माल्या की याचिका, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह भारत लौटना चाहते हैं लेकिन ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि भारतीय अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया है, वह ‘बदनियती’ और ‘कानून की प्रक्रिया का दुरूपयोग करने के उद्देश्य’ से दायर की गई है।

दास ने कहा कि अदालत को महसूस होता है कि उनकी यहां आने और अदालत में पेश होने की कोई मंशा नहीं है और इस देश के कानून के प्रति उनके मन में जरा भी सम्मान नहीं है। अदालत ने कहा, ‘आरोपी के आचरण को देखते हुए, उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देना पड़ेगा। आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी।’

सुनवाई के दौरान माल्या की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता और अजय भार्गव ने कहा कि उनकी याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय की जो प्रतिक्रिया आई है उसका वे कोई जवाब नहीं देना चाहते। उन्होंने मामले को अंतिम बहस के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। अदालत ने कहा कि चार अक्तूबर को विशेष उल्लेख किया गया था कि माल्या अधिकारियों के संपर्क कर भारत लौटने के लिए आपात दस्तावेज प्राप्त कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया।

दास ने कहा कि ऐसा लगता है कि आरोपी भारत लौटने के लिए कोई कदम उठाने का इच्छुक नहीं है। माल्या, जो संभवत: लंदन में हैं, उन्होंने नौ सितंबर को अदालत में कहा था कि वह भारत लौटना चाहते हैं और इस ‘सद्इच्छा’ के बावजूद वह यात्रा करने में ‘सक्षम नहीं हैं’ क्योंकि उनका पासपोर्ट रद्द किया जा चुका है।

इसके जवाब में प्रवर्तन निदेशालय ने चार अक्तूबर को अदालत में कहा था कि माल्या का भारत लौटने का कोई इरादा नहीं है और उनका पासपोर्ट खुद उनके आचरण के कारण रद्द किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय के वकील एन के माट्टा ने माल्या की उस याचिका का विरोध किया किया था जिसमें उन्होंने पासपोर्ट रद्द किए जाने के आधार पर व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी। अदालत ने नौ जुलाई को माल्या को व्यक्तिगत पेशी से मिली छूट खत्म कर दी थी और नौ सितंबर को उन्हें पेश होने का निर्देश दिया था। माल्या को व्यक्तिगत पेशी से छूट वर्ष 2000 में दी गई थी।

भाषा

error: Content is protected !!