नई दिल्ली। (Babri Masjid demolition case) अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने का समय बढ़ाते हुए लखनऊ की सीबीआई ट्रायल कोर्ट को 30 सितंबर 2020 तक फैसला सुनाने को कहा है। इस मामले में ट्रायल पूरा करने के लिए पहले 31 अगस्त 2020 तक का समय दिया गया था। शुक्रवार को अयोध्या के विवादित ढांचे के विध्वंस के मामले में सीबीआई ने विशेष अदालत में रिपोर्ट दाखिल की थी। इस मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती व अन्य को आरोपित बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश विशेष न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव द्वारा दायर याचिका पर आया जो बाबरी मस्जिद के विध्वंस से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहे हैं और मामले में फैसला सुनाने के लिए और समय की मांग कर रहे थे। गौरतलब है कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को “कारसेवकों” ने मस्जिद ढहा दी थी। उनका दावा था कि मस्जिद की जगह पर Yibev राम का प्राचीन मंदिर हुआ करता था। राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोगों में आडवाणी और जोशी भी शामिल थे।
बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी ने बीती 24 जुलाई (शुक्रवार) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेष जज के सामने अपना बयान दर्ज करवाया था। इस दौरान देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। उन्होंने उस समय की केंद्र सरकार को अपने खिलाफ लगे आरोपों के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इस मामले में खुद को निर्दोष करार देते हुए आडवाणी ने कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित थे।
विशेष जज एसके यादव की अदालत में 92 वर्षीय आडवाणी के बयान दर्ज कराते समय उनके वकील विमल कुमार श्रीवास्तव, केके मिश्रा और अभिषेक रंजन मौजूद थे। सीबीआई के वकील ललित सिंह, पी चक्रवर्ती और आरके यादव भी मौजूद थे। वकील केके मिश्रा ने लखनऊ की सीबीआई अदालत में आडवाणी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
मुरली मनोहरजोशी ने अदालत से कहा था कि वह बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में निर्दोष हैं और केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से उन्हें गलत तरीके से फंसाया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि अभियोजन पक्ष की तरफ से इस मामले में पेश किए गए सबूत झूठे और राजनीति से प्रेरित हैं।